Wednesday, March 4, 2009

निर्यात में लगातार पांचवें महीने रही गिरावट

निर्यात में लगातार पांचवें महीने रही गिरावट
4 Mar 2009, 2141 hrs IST, इकनॉमिक टाइम्स

नई दिल्ली : निर्यात के मोर्चे पर देश की स्थिति बिगड़ती जा रही है। निर्यात फरवरी में लगातार पांचवें महीने गिरा है। इससे चालू वित्त वर्ष का निर्यात लक्ष्य हासिल होने की संभावना काफी कम रह गई है। इसके अलावा आयात में लगातार दूसरे महीने गिरावट दर्ज हुई है। इसके चलते व्यापार घाटे में थोड़ी-बहुत कमी आई है। इन सभी बातों का खुलासा वाणिज्य मंत्रालय जारी के फौरी अनुमान से हुआ है। कपड़ा, हस्तशिल्प, चमड़ा, कार्पेट, समुद्री खाद्य उत्पादों, रत्न-आभूषण वगैरह निर्यात को फिलहाल राहत मिलती दिखाई नहीं दे रही है। वैश्विक आर्थिक मंदी के बीच फरवरी में नए ऑर्डर नहीं मिलने से इन सेक्टरों के निर्यात में खासी कमी आई है।

इस साल फरवरी में 13 फीसदी कम यानी कुल 13.04 अरब डॉलर का निर्यात हुआ। इससे चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से फरवरी की अवधि में कुल निर्यात 156 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया। अब चालू वित्त वर्ष का लक्ष्य तभी पूरा हो पाएगा, जब मार्च में निर्यात 18 फीसदी ज्यादा 19 अरब डॉलर होगा। चालू वित्त वर्ष के लिए 175 अरब डॉलर का निर्यात लक्ष्य तय किया गया है। शुरू में 200 अरब डॉलर का निर्यात लक्ष्य रखा गया था, जिसमें हाल ही में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री कमलनाथ ने संशोधित किया था। इसके बारे में सरकारी सूत्र ने बताया, 'चालू वित्त वर्ष का संशोधित लक्ष्य भी हासिल करना मुश्किल नजर आ रहा है। मार्च में निर्यात पिछले पांच महीने के मुकाबले बेहतर रहने की कोई सूरत नजर नहीं आ रही है।'

निर्यात में गिरावट का दौर पिछले साल अक्टूबर में शुरू हो गया था। उस महीने निर्यात 12.1 फीसदी और अगले महीने 9.9 फीसदी घटा था। दिसंबर में स्थिति बेहतर रही, क्योंकि इस महीने निर्यात में सिर्फ 1.1 फीसदी की कमी आई। निर्यात के मोर्चे पर सबसे ज्यादा कमजोरी जनवरी में दर्ज हुई। इस महीने निर्यात में 15.9 फीसदी की गिरावट दर्ज कर दी गई थी। डॉलर के मुकाबले रुपए की कमजोरी से उन निर्यातकों की कमाई में इजाफा हुआ है, जिन्हें कुछ महीने पहले ऑर्डर मिले थे। इससे फिलहाल निर्यातकों को फायदा होता नजर नहीं आ रहा क्योंकि अब ग्राहक रुपए में कमजोरी के कारक को ध्यान में रखकर ऑर्डर दे रहे हैं।

दिल्ली एक्सपोर्टर्स असोसिएशन के प्रेसिडेंट एस. पी. अग्रवाल के मुताबिक, वैश्विक आर्थिक मंदी की सबसे गहरी चोट छोटे और मझोले निर्यातकों पर पड़ी है। अग्रवाल बताते हैं, 'हमारे अध्ययन के हिसाब से पिछले कुछ महीनों में कम-से-कम 10,000 छोटी इकाइयों में काम बंद हो गया है। ज्यादातर इकाइयां हस्तशिल्प, कपड़ा, चमड़े के सामान और फैशन ज्वैलरी बनाया करती थीं।'

अग्रवाल के मुताबिक निकट भविष्य में स्थिति सुधरने की कोई गुंजाइश नजर नहीं आ रही है। फरवरी मध्य में जर्मनी के यूरोपीय उपहार मेले में विदेशी ग्राहकों से निराशाजनक प्रतिक्रिया मिली थी। अग्रवाल बताते हैं, 'इस मेले में भारतीय निर्यातकों को हर साल 500 करोड़ रुपए के ऑर्डर मिलते हैं। लेकिन इस साल हमें सिर्फ 75 करोड़ रुपए के ही ऑर्डर मिले हैं। अगर हमारे माल की मांग ही नहीं होगी तो ब्याज दर में छूट जैसी सरकारी राहत का क्या फायदा।'



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