Wednesday, March 4, 2009

गिरते रुपए से मिलेगी सॉफ्टवेयर कंपनियों को तेजी

गिरते रुपए से मिलेगी सॉफ्टवेयर कंपनियों को तेजी
4 Mar 2009, 2241 hrs IST, इकनॉमिक टाइम्स

एन शिवप्रिया 7 रश्मि प्रताप


मुंबई: डॉलर के मुकाबले रुपए के लगातार गिरने से वैश्विक मंदी और आईटी सेवाओं की कम मांग होने के बावजूद सॉफ्टवेयर सेक्टर में तेजी आ सकती है। लगभग सभी आईटी फर्मों ने कर्मचारियों पर लागत घटाने के लिए सख्त कदम उठाए हैं।

दरअसल, आईटी कंपनियों के कामकाजी खर्च का बड़ा हिस्सा कर्मचारियों के मद में जाता है। मौजूदा हालात में आईटी कंपनियों ने इन वजहों पर तो गौर किया है, लेकिन गिरते रुपए की उन्होंने अनदेखी की है। भारत में उदारीकरण के बाद से रुपया अपने न्यूनतम स्तर पर है। आगे इसके और गिरने की आशंका जताई जा रही है। बुधवार को डॉलर के मुकाबले रुपया गिरकर 52 के स्तर से भी नीचे पहुंच गया, लेकिन बाद में यह सुधरकर 51.55 पर आ गया। वित्तीय वर्ष 2009 की चौथी तिमाही के लिए अधिकतर कंपनियों ने अनुमान लगाया है कि डॉलर के मुकाबले रुपया 50 से नीचे रहेगा।

उदाहरण के लिए चौथी तिमाही के अपने गाइडेंस में इंफोसिस ने कन्वर्जन रेट 48.71 रुपए रखा है जबकि कमजोर होने के बाद इसके औसतन 49.23 पर रहने की संभावना है। अगर मार्च में इसमें और गिरावट होती है तो तिमाही के दौरान औसत रुपया रेट और गिर सकता है।एक ब्रोकरेज फर्म के आईटी एनालिस्ट का कहना है, 'आंतरिक तौर पर हमारे अर्थशास्त्री अनुमान लगा चुके हैं कि रुपया तिमाही के अंत तक 54 रुपए से नीचे जा सकता है। रुपए में प्रत्येक एक फीसदी की गिरावट से ईपीएस में 1.5-2 फीसदी का सुधार होगा। यह कंपनी की हेजिंग पॉलिसी पर भी निर्भर करेगा।' रुपए के बारे में बाजार का अनुमान तो और कम है। बाजार ने रुपए के 56 से भी नीचे जाने का अनुमान लगाया है। एक और एनालिस्ट का कहना है, 'यहां तक कि आप मंदी की भी बात करें तो आईटी कंपनियों ने भी रुपए में इतनी गिरावट आने की उम्मीद नहीं की थी।'

दूसरी तिमाही के बाद से आईटी फर्मों मुद्रा की हेजिंग कम कर रही हैं। पहले कई फर्मों एक, दो या तीन साल के लिए हेजिंग करती थीं, लेकिन अब उन्होंने इसकी मियाद घटाकर एक साल या उससे भी कम कर दिया है। एंजल ब्रोकिंग के आईटी और टेलीकॉम एनालिस्ट हरित शाह का कहना है, 'इससे मार्जिन पर सकारात्मक असर पड़ेगा, लेकिन कुछ समय के लिए फॉरेक्स नुकसान होता रहेगा।' तीसरी तिमाही के मुकाबले चौथी तिमाही में आईटी वेंडर भी अपनी लागत में तेजी से कमी कर रहे हैं। इससे उनकी आमदनी में सुधार हो सकता है। कुछ मझोली आईटी कंपनियां जैसे हेक्सावेयर और मास्टेक ने अपने नॉन बिलेबल स्टॉफ को अपेक्षाकृत कम सैलरी पर रखा है।

प्रदर्शन न करने वालों पर सख्त रवैया अपनाने वाली इंफोसिस जैसी बड़ी कंपनियां भी छंटनी की भी घोषणा कर चुकी हैं। आईटी कंपनियों में पहले नौकरी छोड़ने की दर 10 फीसदी था, जो अब यह गिरकर एक अंक में आ गई है। इसका मतलब हुआ कि आईटी कंपनियों को अब टेनिंग पर कम रकम खर्च करनी होगी।

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