Monday, May 9, 2011

Fwd: क्रिकेट, राष्ट्रवाद और बाजार का जहरीला मेल



---------- Forwarded message ----------
From: reyaz-ul-haque <beingred@gmail.com>
Date: 2011/5/9
Subject: क्रिकेट, राष्ट्रवाद और बाजार का जहरीला मेल
To: tahreeq@gmail.com



1982 में दिल्ली एशियाड के बाद भारत का जैसे ही टीवीकरण हुआ, प्रसारण कंपनियों को लगा कि क्रिकेट से ज्यादा टीवी फ्रेंडली गेम कोई नहीं हो सकता। हर छः गेंदों के बाद विज्ञापन दिखाने की सुविधा किसी और खेल से नहीं मिल सकती थी। 1983 में कपिल देव की टीम ने जैसे ही विश्व कप जीत लिया, भारत की राष्ट्रवादी कल्पनाशीलता पर क्रिकेट छा गया।

क्रिकेट, राष्ट्रवाद और बाजार का जहरीला मेल


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Nothing is stable, except instability
Nothing is immovable, except movement. [ Engels, 1853 ]



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Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

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