Sunday, May 15, 2011

Fwd: भाषा,शिक्षा और रोज़गार



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From: भाषा,शिक्षा और रोज़गार <eduployment@gmail.com>
Date: 2011/5/15
Subject: भाषा,शिक्षा और रोज़गार
To: palashbiswaskl@gmail.com


भाषा,शिक्षा और रोज़गार


भूगर्भ-विज्ञान में संभावनाएं

Posted: 14 May 2011 11:25 AM PDT

भले यह भूमंडलीकरण का दौर मूलत: कारोबार, वित्तीय सेवाओं और सूचनाओं की विस्फोटक प्रगति का दौर हो। लेकिन कुछ मूलभूत क्षेत्रों के बिना किसी भी दौर के विकास की गाड़ी नहीं चल सकती। खनन-उत्खनन ऐसा ही क्षेत्र है। धरती को रत्नगर्भा भी कहते हैं। इसमें न जाने कितने खनिज पदार्थ छिपे हुए हैं जो एक किस्म से रत्न ही हैं। चाहे वह आज की आधुनिक औद्योगिक प्रगति का आधार पेट्रोल हो या ताप विद्युत का अहम जरिया कोयला। बिना खनिजों के न तो हमारी आर्थिक प्रगति ही संभव है और न ही विकास। हमारी तमाम समृद्धि और विकास का आधार खनिज पदार्थ ही हैं। यही कारण है कि पिछली एक सदी में आज से पहले उत्खनन के क्षेत्र में इतनी तीव्रता पहले कभी देखने को नहीं मिली। खनन-उत्खनन के क्षेत्र में इसी वजह से करिअर शानदार अवसरों की भरमार है।
जमीन के अंदर के जहां अनेक रहस्य उजागर हो चुके हैं, वहीं अभी भी तमाम रहस्य दबे पड़े हैं। इन रहस्यों को खंगालने वाले यानी जमीन के गर्भ में छुपे रहस्यों का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों को भूगर्भ विज्ञानी या जियोसाइंटिस्ट या फिर जियोलॉजिस्ट कहते हैं। भू-विज्ञानी के रूप में करिअर बनाने के अवसरों की भरमार है। यह कहना ज्यादा बेहतर होगा कि इस क्षेत्र में करिअर बनाने के अवसरों की तादाद जमीन के अंदर दबे अथाह रहस्यों के समान ही है। सरकारी, अद्र्धसरकारी, प्राइवेट, सभी स्तरों पर भूविज्ञानी के रूप में बेहतर करिअर बनाया जा सकता है।
भूविज्ञानी के रूप में करिअर बनाने के संबंध में कुछ वर्षों पहले तक गिनेचुने लोग ही सोचते थे। इसका एक बड़ा कारण शायद यह था कि यहां पर रोजगार के अवसर सीमित थे। वक्त के साथ स्थिति एकदम बदल गयी है। भूमंडलीकरण के इस दौर ने भूविज्ञानी के रूप में करिअर बनाने के अवसरों की बाढ़ सी आ गई है। जिस हिसाब से जमीन का दोहन करने की मारामारी मची है, उसने युवाओं के सामने इस क्षेत्र में बेहतर विकल्प बनाने का रास्ता साफ कर दिया है। अब यह क्षेत्र पहले की तरह उबाऊ भी नहीं रह गया है। अत्याधुनिक मशीनों के जरिए भूगर्भ के रहस्यों का अध्ययन करना अब एक रोचक रोमांचक कार्य बन चुका है। अगर अध्ययन के ऊपर से पथरीली दिखायी देने वाली जमीन के अंदर सोने या हीरे का भंडार होने का पता चले तो अध्ययन करने वाले भूविज्ञानी के रोमांचक पलों का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। किसी भूविज्ञानी को इस तरह के रोमांचक पलों से गुजरने के तमाम अवसर मिलते हैं।

भूगर्भ विज्ञान में करिअर बनाने के लिए विज्ञान विषयों के साथ इंटरमीडिएट या 10+2 होना आवश्यक है। इंटरमीडिएट के आधार पर भूगर्भ विज्ञान के स्नातक पाठ्यक्रम में प्रवेश लिया जा सकता है। जिस व्यक्ति ने भौतिक या रसायन विज्ञान के साथ स्नातक किया हो, वह सीधे भूगर्भ विज्ञान के स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में प्रवेश ले सकता है। स्नातक पाठ्यक्रमों में दाखिला सिविल परीक्षा एवं मेरिट के आधार पर होता है। जाहिर है कि इस क्षेत्र में वही लोग करिअर बना सकते हैं, जो पढ़ाई-लिखाई में अच्छे हों यानी सिर्फ रुचि रखने से बात बनने वाली नहीं है।
भूगर्भ विज्ञान के स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में धरती के अंदर घटित होने वाली घटनाओं के बारे में बारीकी से समझाया जाता है। इन घटनाओं का विश्लेषण करने में महारत हासिल करायी जाती है। चूंकि भूगर्भ विज्ञान तथ्यों के सूक्ष्म विश्लेषण का विज्ञान है इसलिए जरा-सी चूक भी सारी मेहनत पर पानी फेर सकती है। पाठ्यक्रम में इस तरह की चूक से बचने के लिए तमाम तरह की सावधानियों के बारे में गहनता से समझाया जाता है। इस तरह के उदाहरण देखने को मिलते हैं जब किसी खनिज के अंदेशे में जमीन को अंदर से खंगालने की सारी कवायद उस वक्त बेकार चली जाती है, जब अपेक्षित खनिज का नामोनिशान तक नहीं मिलता। दरअसल, यह तथ्यों के विश्लेषण में की गयी चूक का ही नतीजा होता है। भूगर्भ विज्ञान के पाठ्यक्रमों में इसी तरह की चूक से बचने का पाठ पढ़ाया जाता है।
यूं तो भूगर्भ विज्ञान में स्नातक करने के बाद भी करिअर के अवसर मौजूद रहते हैं लेकिन स्नातकोत्तर करने के बाद बेहतर करिअर बनाया जा सकता है। खनन कंपनियां, तेल उत्पादक कंपनियां, भवन निर्माण कंपनियां, भूकंपरोधी विभाग, विभिन्न राज्यों के भूगर्भ खनन विभाग के अलावा जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया आदि में भूगर्भ विज्ञानियों की भारी तादाद में मांग रहती है। हैसियत के हिसाब से भूगर्भ विज्ञानी को अच्छा दर्जा प्राप्त है, इसी के अनुसार इनका वेतन भी होता है। प्राइवेट हो या सरकारी, किसी भी भूविज्ञानी को करिअर की शुरुआत के समय 10 से 18 हजार रुपये वेतन मिल जाता है। विदेशी संस्थान में वेतन एवं सुवधिाएं बेहद आकर्षक होता है। यदि इन संस्थानों में नौकरी करने की इच्छा न हो तो अध्यापन या कंसलटेंसी करके अच्छी आमदनी की जा सकती है। अनुभव बढऩे के साथ स्वाभाविक तौर पर आमदनी भी बढ़ती है। तेजतर्रार भूविज्ञानियों की विदेशों खासकर खाड़ी देशों में भारी मांग है।
भूगर्भ विज्ञान के पाठ्यक्रमों की सुविधा बहुत से संस्थानों में है। प्रमुख देशी-विदेशी संस्थानों के नाम यहां दिये जा रहे हैं :-
देशी संस्थान -
० दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली
० इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, खडग़पुर
० बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी
० जामिया मिलिया इस्लामिया, जामिया नगर, नई दिल्ली
० लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ
० पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर
० अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़
० कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र, हरियाणा
० पुणे विश्वविद्यालय, पुणे
० इंडियन स्कूल ऑफ माइंस, धनबाद
० उत्कल विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर
० रुड़की विश्वविद्यालय, रुड़की
विदेशी संस्थान -
० अमेरिकन जियोलॉजिकल इंस्टीच्यूट, 4220 किंग स्ट्रीट एलेक्जेंड्रिया, वीए
० जियोलॉजिकल सोसायटी वर्लिंग्टन हाउस, पिकाडिली, लंदन
० अमेरिकन मेट्रोलॉजिकल सोसायटी, 45 बेकन स्ट्रीट, बोस्टन(जी.एस. नंदिनी,दैनिक ट्रिब्यून,4.5.11)।

विज्ञापन उद्योग में करिअर

Posted: 14 May 2011 11:00 AM PDT

विज्ञापन किसी उत्पाद के बारे में जानकारी देने के साथ ही लोगों को उस बारे में ज्यादा जानने और इसे इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित करने का प्रभावी तरीका है। विज्ञापन दो तरीके के होते हैं, विजुअल या मौखिक। किसी उत्पाद या सेवा का विज्ञापन इसलिए किया जाता है ताकि उसके बारे में सम्भावित खरीदार जागरूक हो। इसके लिए सामान्य तौर पर उपयोग होने वाले माध्यम में टीवी, रेडियो, वेबसाइट्स, समाचारपत्र, पत्रिकाएं, बिल बोड्र्स और होर्डिंग्स हैं।
विज्ञापन क्या है:- आर्थिक उदारीकरण और बदलते सामाजिक ट्रेड्स के बीच विज्ञापन उद्योग ने पिछले एक दशक में बहुत विकास किया है। किसी भी उत्पाद का विज्ञापन जन समूह के बीच संप्रेषण बनाए रखने के लिए एक दृष्टिïकोण बनाता है। मोटे तौर पर विज्ञापन संप्रेषण की उचित व्यवस्था के साथ ब्रांड बिल्डिंग का कार्य करता है। यह मांग बढ़ाने, मार्केटिंग की प्रक्रिया को बढ़ावा देने और आर्थिक विकास में मददगार साबित होता है।
महत्ता:- आज के प्रतियोगी माहौल में विज्ञापन महत्ती भूमिका निभाते हैं। विज्ञापन में करिअर बनाना न सिर्फ ग्लैमरस है बल्कि तेजी से बढ़ रही विज्ञापन एजेंसियों की संख्या के चलते चुनौती भी है। आज नामी ब्रांड, कंपनियां, व्यक्ति विशेष स्वायत्त और धार्मिक संस्थाएं विज्ञापन का उपयोग करती हैं। ज्यादा से ज्यादा लोगों तक अपनी बात पहुंचाने के लिए विज्ञापन को बेहद प्रभावी बनाया जाने लगा है। इस क्षेत्र में वेतन बहुत ज्यादा है और अगर आपमें वाकई इस दिशा में कुछ कर गुजरने का जज्बा है तो प्रगति करने के काफी अवसर हैं। लेकिन जरूरी है कि इस क्षेत्र में कलात्मक होने के साथ ही काम के दबाव में भी क्रियाशील लोग ही सफलता का स्वाद चख पाते हैं।
विज्ञापन के विभिन्न स्वरूप:- आज के दौर में विज्ञापन के क्षेत्र में भी नए क्षेत्र उभर रहे हैं। जैसे इवेंट प्रबन्धन, इमेज प्रबन्धन, इंटरनेट मार्केटिंग आदि। इवेंट मैनेजमेंट में किसी भी कार्यक्रम की सही मार्केटिंग और इमेज मार्केटिंग के तहत किसी विशेष प्रोफाइल के व्यक्ति में संस्था को केंद्रित करते हुए मार्केटिंग की जाती है। इंटरनेट मार्केटिंग ने इस दिशा में व्यापक बदलाव किया है। लेकिन फिर भी इसे सीमित दायरे के लोगों के बीच की जा रही मार्केटिंग ही कहा जायेगा। यह बड़े समूह को केन्द्रित मार्केटिंग में शामिल नहीं है।
योग्यता शैक्षणिक:- अधिकतर विज्ञापन एजेंसियां ऐसे उम्मीदवारों को नियुक्त करती हैं जो मैनेजमेंट, जनसंचार या विज्ञापन का कोर्स किए हों । हालांकि मार्केटिंग शोध, उपभोक्ता सेवा और मीडिया प्लानिंग के लिए एमबीए डिग्रीधारियों को प्राथमिकता दी जाती है। क्रिएटिव विभाग में सामान्य स्नातक भी प्रवेश ले सकता है। लेकिन इन्हें संप्रेक्षण की कला, भाषा पर पकड़, डिजाइन पैकेज जैसे फोटोशॉप, कोरल ड्रा के अलावा फाइन आट्र्स की जानकारी होना आवश्यक है।
व्यक्तिगत:- इस क्षेत्र में कार्य करने के लिए मूल रूप से कलात्मक लेखन करने किसी भी विचार को दृश्य(विजुअल) रूप में सामने लाने की काबिलियत इस क्षेत्र में सफल होने के लिए जरूरी है। इन लोगों को समाज के हर स्तर से आने वाले लोगों की रुचियों की जानकारी होना चाहिए। कुल मिलाकर विज्ञापन इस तरह उभरकर सामने आना चाहिए कि यह ज्यादा से ज्यादा लोगों को आर्कषित कर सके।

कार्य का स्वरूप:- विज्ञापन उद्योग को दो भागों मेंविभाजित किया जा सकता है— एक एक्जीक्यूटिव और दूसरा क्रिएटिव। एक्जीक्यूटिव विभाग में क्लाइंट सर्विस मार्केटिंग रिसर्च और मीडिया रिसर्च शामिल हैं। जबकि क्रिएटिव श्रेणी में कापीराइटर, स्क्रिप्ट राइटर, विजुअलाइजर, फोटोग्राफर व टाइपोग्राफर्स आते हैं। एक्जीक्यूटिव विभाग ग्राहक की जरूरत, बाजार का हालिया रुख, मीडिया के सही समय पर नजर रखता है। जबकि क्रिएटिव विभाग विज्ञापन तैयार करता है और विजुअल तौर पर ग्राहक की अपेक्षा को सर्वोपरी रखता है। विज्ञापन का डिजाइन और संकल्पन इन्हीं की देन है।
कोर्स:-विज्ञापन/ जनसंचार में विशेष कोर्स के अलावा डिप्लोमा व स्नातोकोत्तर स्तर तक के कोर्स मौजूद हैं। इन सभी के लिए न्यूनतम योग्यता स्नातक है। कुछेक संस्थानों में स्नातक के डिग्री कोर्स में भी विज्ञापन को एक विषय बतौर लिया जा सकता है जिसके लिए न्यूनतम योग्यता 10+2 है।
रोजगार के अवसर:- विज्ञापन उद्योग में रोजगार के अवसर मूलत: निजी विज्ञापन एजेंसियों, सार्वजनिक या निजी क्षेत्र के विज्ञापन विभाग, समाचारपत्रों के विज्ञापन विभाग में जर्नल्स, पत्रिकाओं, रेडियो या टीवी के वाणिज्य विभाग, मार्केटिंग संस्थाओं में या फिर फ्रीलांसर के तौर पर मिल सकते हैं।
वेतन:-विज्ञापन उद्योग में वेतन का दारोमदार विज्ञापन एजेंसी के विस्तार व टर्नओवर पर निर्भर करता है। अधिकृत विज्ञापन एजेंसियों के पास तो बहुत बड़ा स्टाफ होता है जिन्हें अच्छा वेतन दिया जाता है। लेकिन एजेंसी का दायरा कम होने पर वेतन का दायरा सिमट सकता है। इसमें प्रोडक्शन मैनेजर को दस हजार, कापी राइटर को बारह हजार रुपये और जनरल मैनेजर को दूसरे भत्तों के अलावा चालीस हजार प्रतिमाह तक मिल सकते हैं।
संस्थान:- विज्ञापन प्रबंधन से सम्बंधित कोर्स भारत में स्थित लगभग सभी विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता है(खुशबीर मोठसरा,दैनिक ट्रिब्यून,11.4.11)।

डीयूःबीएलएड में २० मई और बीएड के फार्म १ जून से

Posted: 14 May 2011 10:43 AM PDT

दिल्ली विश्वविद्यालय में बीएलएड कोर्स में दाखिले के लिए २० मई से फार्म मिलेंगे। फैकल्टी ऑफ एजुकेशन की देखरेख में चलाया जा रहा यह कोर्स प्राइमरी शिक्षक बनने की राह दिखाता है। इनमें दाखिले के लिए १ जून और ६ जून से फार्म मिलेंगे।


फैकल्टी ने इस बार प्रवेश परीक्षा की रूपरेखा में फेरबदल करते हुए साक्षात्कार और ग्रुप डिस्कशन की प्रक्रिया को समाप्त कर दी है। अब छात्रों को सिर्फ प्रवेश परीक्षा की मेरिट के आधार पर ही दाखिला मिलेगा। बीएलएड यानी बैचलर ऑफ एलिमेंटरी एजुकेशन में फार्म भरने की आखिरी तारीख ४ जून है। इसके बाद २५ जून को प्रवेश परीक्षा है। इस परीक्षा में सफल उम्मीदवारों को आठ कॉलेजों में चार साल के इस कोर्स में दाखिला मिलेगा। इसमें कुल ३७५ सीटें है। आवेदन फार्म एसबीआई की नार्थ कैंपस, गार्गी कॉलेज, शाहदरा, प्रशांत विहार, द्वारका सेक्टर ११ और बी ब्लॉक कनाट प्लेस स्थित शाखा से मिलेगा। परीक्षा में बैठने के लिए १२वीं न्यूनत्तम योग्यता है। 

बीएड में फार्म भरने की आखिरी तारीख १५ जून है। इसके बाद ३ जुलाई को टेस्ट है। इसमें कुल ५७५ सीटें हैं। फैकल्टी में एमएड और पीएचडी में दाखिले के लिए आवेदन फार्म १५ जुलाई से ५ अगस्त तक मिलेगा(नई दुनिया,दिल्ली,14.5.11)।

डीयूःसीसीटीवी कैमरों के कारण लड़कियों की निजता दांव पर

Posted: 14 May 2011 10:25 AM PDT

दिल्ली विश्वविद्यालय के हॉस्टलों में लगे सीसीटीवी कैमरे भले ही सुरक्षा पुख्ता करने के लिए लगाए गए हो लेकिन ये लड़कियों की प्राइवेसी में दखल डाल रहे हैं। इस मुद्दे पर छात्राएं और डीयू प्रशासन अपने-अपने तर्क दे रहे हैं। इसके लिए छात्राओं ने प्रॉक्टर से लिखित में शिकायत भी दर्ज कराई है। प्रशासन का तर्क है कि लड़कियां ऐसा देर से हॉस्टल आने पर पकड़े जाने से बचने के लिए कर रही है तो लड़कियों का कहना है कि इससे उनकी निजता पर लगाम लगती है।

डीयू में पढ़ने वाली छात्र साक्षी (बदला हुआ नाम) बताती हैं कि मैंने आर्थिक आधार और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए डीयू के ही अंबेडकर गांगुली हॉस्टल में रहने का फैसला किया था, लेकिन हॉस्टल में सीसीटीवी लगने से लड़कियों की निजता खत्म हो रही है। हालांकि सुरक्षा के नजरिए से यह एक बेहतर कदम जरूर है पर इसके लिए हॉस्टल की लॉबी और मुख्य प्रवेश द्वार पर कैमरे लगाना सही नहीं है। डीयू प्रशासन को हॉस्टल की बाउंड्री पर सीसीटीवी लगाने चाहिए ताकि वहां से कोई अंदर ना सके। इसके लिए प्रॉक्टर को भी सूचना दे दी है। पर अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है।

वहीं इसके विपरीत हॉस्टल की इंचार्ज रौशल पिंटो का कहना है कि सीसीटीवी लगने से लड़कियों को दिक्कत इसलिए है क्योंकि इससे उनका हॉस्टल के निर्धारित समय से लेट आना पकड़ा जा सकता है। हॉस्टल में लड़कियों के आने का समय नौ बजे है। इसके अलावा इन्हें महीने में 12 दिन, रात 11 बजे तक आने की अनुमति भी है। यही नहीं वह आठ अपने किसी परिचित, घर पर भी रह सकती हैं। डीयू में कुल 13 हॉस्टल हैं जिनमें हरेक में करीब 120 लड़कियां रह रही हैं। अब तक इनमें से सिर्फ दो ही हॉस्टल में सीसीटीवी लगे हैं।
(हिंदुस्तान,दिल्ली,14.5.11)

जल्दबाजी में करियर बदलने की न सोचें

Posted: 14 May 2011 10:05 AM PDT

ग्लोबल मैनेजमेंट एंड कंसल्टिंग फर्म असेंचर के सर्वे में सामने आया कि आधे से अधिक कर्मचारी अपने जॉब से खुश नहीं है। वैसे तो किसी व्यक्ति के लिए करियर बदलने का फैसला लेना काफी मुश्किल काम होता है। लाजिमी है कि इतनी मेहनत से किसी विशेष विषय की पढ़ाई करने के बाद उसे छोड़ने का फैसला लेना इतना आसान नहीं होता। और हां, इस तरह के फैसले रातों-रात लिए भी नहीं जाते। अगर आप करियर बदलने का फैसला लेने जा रहे हैं, तो कुछ बातों को जरूर ध्यान में रखें।

पक्की योजना बनाएं
बात चाहे निवेश की हों या फिर करियर की, आज के दौर में सफलता का सबसे बड़ा मूलमंत्र है कि आपकी करियर को लेकर आपकी योजना में कोई कमी नहीं हो। ऐसे में अगर आप करियर बदलने जा रहे हैं, तो इस बात को जरूर सुनिश्चित कर लें कि जिस करियर में आप कदम रखने जा रहे हैं उसके लिहाज से आपकी योजना क्या है। बिना रोडमैप तैयार किए करियर बदलना भूल साबित हो सकती है।

खुश न होने की वजह तलाशें

अगर आप मौजूदा जॉब को महज इसलिए छोड़ने जा रहे हैं कि इस जॉब से आप बोर हो चुके हैं या बॉस का व्यवहार आपको पसंद नहीं है या फिर जहां आप कर रहे हैं वहां का वातावरण सही नहीं है तो अपने फैसले पर फिर विचार कीजिए। देखिए किस तरह आप इस प्रतिकूल परिस्थिति में भी आशा की किरण ढूंढ सकते हैं। ध्यान रखें समस्या है तो उसका हल भी होगा।


सिर्फ पैसे को ध्यान में न रखें
इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि आज के दौर में पैसा सबसे बड़ी जरूरत है, लेकिन दूर की सोचे तो महज पैसे की वजह से लिए गए फैसले हमेशा बेहतर साबित नहीं होते। इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि करियर में पैसे के साथ जॉब संतुष्टि की भी अहम भूमिका होती है।

दबाव में फैसला नहीं करें
अक्‍सर युवा अपने माता-पिता या दोस्तों के दबाव में आकर ऐसे फैसले कर बैठते हैं जो उनके लिए मुफीद साबित नहीं होते। इसलिए किसी भी करियर को चुनने से पहले सभी बातों का आंकलन कर लेना चाहिए। 

मजबूत नेटवर्क तैयार करें
किसी भी नए क्षेत्र में कदम रखने से पहले जरूरी है कि आपका नेटवर्क मजबूत हो। इसलिए जिस क्षेत्रमें आप शिफ्ट होने जा रहे हैं, उसमें अपने नेटवर्क का आंकलन कर लें।

अपनी योग्यता को पहचानें
अपनी रुचि, दक्षता, पसंद-नापंसद को सोचे बिना करियर बदलना सही नहीं है। एसडब्लयूओटी यानी स्ट्रेंथ, वीकनेस, अपॉच्यूनिटी और टारगेट के आधार पर फैसला करें।
(हिंदुस्तान,दिल्ली,14.5.11)

डीयूःअभिभावकों को मिलेगी बच्चों की उपस्थिति की जानकारी

Posted: 14 May 2011 09:45 AM PDT

दिल्ली विश्वविद्यालय में अब नए सत्र से छात्रों के साथ-साथ अभिभावक घर बैठे ही अपने लाडले की उपस्थिति कम से कम हफ्ते में एक बार जान सकेंगे। इस साल सेमेस्टर सिस्टम के साथ ही छात्रों को उनकी उपस्थिति का ब्योरा भी नए तरीके से दिया जाएगा। विवि प्रशासन कॉलेजों को इस बात का सुझाव देने जा रहा है कि नए सत्र से कॉलेज हर छात्र की उपस्थिति अपनी वेबसाइट या नोटिस बोर्ड पर लगाएं जिससे छात्रों को पहले से ही इसकी जानकारी मिल जाए।

इसका फायदा ये होगा कि छात्रों को पहले से उनकी कम उपस्थिति के बारे में जानकारी मिल जाएगी जिससे वह समय रहते इसे पूरा कर सकेंगे। मुख्य बात ये है कि पहले ये जानकारी अनौपचारिक तौर पर मिलती थी वहीं अब ये प्रत्येक हफ्ते मिलना संभव होगी। माना जा रहा है कि उपस्थिति की ये जानकारी न्यूनतम एक हफ्ते में और अधिकतम एक माह में उपलब्ध हो जाएगी।

डीयू के छात्रों द्वारा दिए गए इस सुझाव को विश्वविद्यालय प्रशासन सकारात्मक तौर पर ले रहा है। डीन स्टडेंट्स वेलफेयर जे.एम.खुराना का कहना है कि उपस्थिति का ब्यौरा हर हफ्ते या महीने में देना छात्रों के हित में होगा। यह एक बहुत ही अच्छा विकल्प है। उन्हें साथ के साथ अपनी उपस्थिति की पूरी जानकारी मिलती रहेगी। हम कॉलेजों से कहेंगे कि वह नए सत्र से इसे अपनाएं और छात्रों की उपस्थिति की जानकारी अपनी सुविधानुसार छात्रों को बताएं। रामलाल आंनद कॉलेज के प्राचार्य वी.के.शर्मा ने बताया कि अगर ऐसा हो जाता है तो छात्रों को बहुत फायदा मिलेगा।

हर साल उपस्थिति कम होने की वजह से परीक्षाएं न देने वाले छात्रों की संख्या बढ़ती जा रही है। यही नहीं इस वजह से छात्रों को शिक्षकों से शिकायत रहती है कि वह रोजाना उपस्थिति दर्ज नहीं कराते हैं जिससे उपस्थिति कम हो जाती है। डीयू के एक छात्र का कहना है कि अगर कोई छात्र हफ्ते में चार दिन आता है पांचवें दिन नहीं और शिक्षक उसी दिन उपस्थिति ले लेता है तो औपचारिक तौर पर वह छात्र पूरे सप्ताह के लिए अनुपस्थित माना जाएगा। अगर उपस्थिति के लिए इस तरह को प्रावधान तय हो जाता है तो इससे छात्रों को बहुत फायदा मिलेगा।


रामलाल आनंद कॉलेज के प्राचार्य का कहना है कि पहले जहां सालाना आधार पर छात्रों की उपस्थिति निकाली जाती थी वहीं अब सेमेस्टर सिस्टम में छह महीने में एक बार ऐसा करना होगा। यदि यह प्रक्रिया लागू हो जाती है तो उपस्थिति का ब्यौरा पारदर्शी हो जाएगा।

क्या था पहले का तरीका
पहले कॉलेज छात्रों की साल में एक बार ही उपस्थिति जारी करते थे। वहीं कुछ कॉलेज यूनिट टेस्ट में भी यह दिखा दिया करते थे। लेकिन सेमेस्टर सिस्टम लागू होने से यूनिट टेस्ट बाध्यकारी नहीं होगा।

क्या होंगे फायदे
कम उपस्थिति वाले छात्रों को पहले से ही पता होगी उपस्थिति
शिक्षकों को भी रखना पढ़ेगा पूरा ब्यौरा
छात्र के अलावा अभिभावक भी घर बैठे जान सकेंगे उपस्थिति 
कम उपस्थिति को पहले सुधारने का होगा मौका 
किसी दिन आएं और उपस्थिति नहीं लगी, तो इसके बारे में भी हो सकेगी पहले से पुष्टि
न्यूनतम सात दिन और अधिकतम एक माह में मिलेगी जानकारियां
(हिंदुस्तान,दिल्ली,14.5.11)

यूपी बोर्ड की इंटर कॉपियों के परीक्षक प्रैक्टिकल में खुश, कॉपी में फुस्स

Posted: 14 May 2011 09:30 AM PDT

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) की इंटरमीडिएट की प्रयोगात्मक परीक्षाओं में खुश परीक्षक, कॉपियों का मूल्यांकन करने के मामले में फुस्स हैं। परीक्षकों के रुचि न लेने की वजह से कई केंद्रों पर विभिन्न विषयों की हजारों कॉपियों का अभी तक मूल्यांकन नहीं हो सका है। प्रदेश के विभिन्न जनपदों में मूल्यांकन का यही हाल बताया जा रहा है। प्रयोगात्मक परीक्षाओं में बढ़-चढ़कर शिरकत करने वाले ऐसे परीक्षक कॉपियों का मूल्यांकन करने से क्यों कतरा रहे हैं, यह चर्चा का विषय बनता जा रहा है। कॉपियों का मूल्यांकन कब तक होगा? उप नियंत्रकों को भी इस संदर्भ में सही जानकारी नहीं है। यूपी बोर्ड की ओर से दस मई तक हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की कॉपियों का मूल्यांकन कार्य पूरा करने की योजना बनाई गई थी। लेकिन परीक्षकों की कमी की वजह से कई मूल्यांकन केंद्रों पर निर्धारित तिथि तक कॉपियों का मूल्यांकन पूरा नहीं कराया जा सका। इस बीच बोर्ड की ओर से तीन दिन का समय भी बढ़ा दिया गया, लेकिन मूल्यांकन कार्य पूरा नहीं हो सका। शुक्रवार को भी कई केंद्रों पर भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान और गृह विज्ञान की हजारों कॉपियां मूल्यांकन के अभाव में पड़ी रहीं। प्रदेश के अधिकतर जनपदों में मूल्यांकन का यही हाल है। आलम यह है कि परीक्षकों की कमी की वजह से गृह विज्ञान की कॉपियां मूल्यांकन के लिए अब जीव विज्ञान के परीक्षकों के हवाले की गई हैं। कॉपियों का मूल्यांकन कब तक होगा, उप नियंत्रक तक को इसकी सही जानकारी नहीं है। मूल्यांकन कार्य से जुड़े लोगों ने बताया कि तीन दिन समय बढ़ाये जाने की सूचना है, लेकिन इसकी अधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। वैसे, स्थिति को देखते हुए माना जा रहा है कि अंतिम दिनों में मूल्यांकन के अभाव में कॉपियां बोर्ड को वापस भेज दी जाएंगी। सवाल उठ रहा है कि प्रयोगात्मक परीक्षाओं में बढ़-चढ़कर शिरकत करने वाले परीक्षक आखिरकार कॉपियों के मूल्यांकन में रुचि क्यों नहीं ले रहे हैं? प्रयोगात्मक परीक्षाओं के लिए शिक्षा विभाग के अधिकारी, डिग्री कॉलेजों के प्रवक्ता और प्रधानाचार्य तक भेजे जाते हैं, लेकिन कॉपियों का मूल्यांकन करने से ये लगातार कतरा रहे हैं(कौशलेंद्र मिश्र,दैनिक जागरण,इलाहाबाद,14.5.11)।

यूपीःटीईटी में हल करने होंगे इंटर स्तर के प्रश्न

Posted: 14 May 2011 09:15 AM PDT

शिक्षा के अधिकार के तहत सूबे में प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में अध्यापकों की भर्ती के लिए अनिवार्य की गई शिक्षक पात्रता परीक्षा में अभ्यर्थियों को इंटरमीडिएट के पाठ्यक्रम के स्तर के प्रश्न हल करने होंगे। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने शिक्षक पात्रता परीक्षा-उत्तर प्रदेश के सिलसिले में शासन को जो प्रस्ताव भेजा है, उसमें यह मंशा जताई है। शिक्षक पात्रता परीक्षा-उत्तर प्रदेश को प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तर पर आयोजित करने का प्रस्ताव है। प्राथमिक स्तर की परीक्षा में बाल विकास एवं अभिज्ञान, भाषा 1 (हिंदी), भाषा 2 (अंग्रेजी या उर्दू), गणित और पर्यावरणीय शिक्षा में से प्रत्येक के 30 सवाल होंगे। वहीं उच्च प्राथमिक स्तर की परीक्षा के प्रश्नपत्र के चार भाग होंगे, जिसमें से तीन भाग सभी के लिए अनिवार्य होंगे। इन तीन भागों में बाल विकास एवं अभिज्ञान, भाषा 1 (हिंदी), और भाषा 2 (अंग्रेजी या उर्दू) शामिल हैं जिनमें से प्रत्येक के 30 प्रश्न होंगे। 60 प्रश्नों वाले चौथे भाग में गणित एवं विज्ञान विषय के अभ्यर्थियों को भाग क के प्रश्न हल करने होंगे, जबकि अन्य सभी अभ्यर्थियों को भाग ख के। प्रस्ताव में यह स्पष्ट किया गया है कि अभ्यर्थियों को प्राथमिक स्तर की परीक्षा में कक्षा एक से पांच और उच्च प्राथमिक स्तर के इम्तिहान में कक्षा छह से आठ तक के पाठ्यक्रम से संबंधित प्रश्न हल करने होंगे, लेकिन इन सवालों का स्तर इंटरमीडिएट के कोर्स के स्तर का होगा। गौरतलब है कि अभ्यर्थी प्राथमिक या उच्च प्राथमिक स्तर या फिर दोनों परीक्षाओं में शामिल हो सकते हैं। दोनों परीक्षाओं में शामिल होने के लिए उन्हें दोनों के लिए अलग-अलग आवेदन करना होगा। टीईटी का आयोजन सामान्यत: साल में एक बार किया जाएगा, लेकिन राज्य सरकार इसे एक से अधिक बार भी आयोजित करा सकती है। परीक्षा के लिए आवेदन मई में आमंत्रित किए जाएंगे। परीक्षा का आयोजन और परीक्षाफल की घोषणा जुलाई-अगस्त माह में की जाएगी। परीक्षा के लिए सामान्य/पिछड़ा वर्ग तथा अनुसूचित जाति/जनजाति के अभ्यर्थियों के लिए आवदन पत्र की पुस्तिका अलग-अलग रंगों में प्रकाशित की जाएगी। टीईटी उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थी को एससीईआरटी प्रमाणपत्र जारी करेगा। मूल प्रमाणपत्र के न प्राप्त होने या खो जाने की स्थिति में दूसरा प्रमाणपत्र हासिल करने के लिए अभ्यर्थी को 300 का शुल्क अदा करना होगा। दूसरे प्रमाणपत्र के लिए अभ्यर्थी को एक प्रत्यावेदन प्रस्तुत करना होगा जिसके साथ उसे विभिन्न प्रमाण पत्र लगाने होंगे(दैनिक जागरण,लखनऊ,14.5.11)।

आइटीबीपी में भर्ती घोटाले का पर्दाफाश

Posted: 14 May 2011 09:00 AM PDT

जवानों से मोटी रकम लेकर आइटीबीपी (भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल) में हेड कांस्टेबल बनाने का मामला प्रकाश में आया है। आरोप है कि आइटीबीपी के देहरादून और बरेली मुख्यालय में 84 कांस्टेबल को नियम विरुद्ध हेड कांस्टेबल बनाया गया। मामले में सीबीआइ ने तत्कालीन डीआइजी और असिस्टेंट कमांडेंट, डिप्टी कमांडेंट समेत चार लोगों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया है। शुक्रवार को मामले में सीबीआइ ने आइटीबीपी के देहरादून, दिल्ली, बरेली और चंडीगढ़ स्थित दफ्तरों समेत आरोपी अफसरों के घर पर छापेमारी कर साक्ष्य जुटाए। जानकारी के मुताबिक गत 14 मार्च को आइटीबीपी देहरादून व बरेली में विभागीय रैंकर्स परीक्षा के जरिए कांस्टेबल को हेड कांस्टेबल बनाने की प्रक्रिया पूरी हुई। सलेक्शन बोर्ड के चेयरमैन देहरादून मुख्यालय में तैनात डीआइजी सतपाल थे, जबकि बरेली सब-ऑफिस के असिस्टेंट कमांडेंट सोमनाथ, देहरादून मुख्यालय के डिप्टी कमांडेंट (जीडी) एनआर शिमरे इस बोर्ड के सदस्य थे। आरोप है कि अफसरों ने मिलकर 84 कांस्टेबलों से बतौर रिश्वत मोटी रकम ली और उन्हें हेड कांस्टेबल के पद पर प्रोन्नत कर दिया। अभ्यर्थियों से सेटिंग व रिश्वत लेकर अफसरों तक पहुंचाने का काम डीआइजी सतपाल के गनर वीरेंद्र कुमार ने किया। शुरुआत से ही विवादों में रहे इस भर्ती में आइटीबीपी ने विभागीय जांच की(दैनिक जागरण,देहरादून,14.5.11)।

वेतन आयोग की कमियां दूर करने के लिए कमेटी की मांग

Posted: 14 May 2011 08:45 AM PDT

नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवेमेन के महामंत्री एम. रधवईया ने केंद्र सरकार से मांग की है कि छठे वेतन आयोग की कमियों को दूर करने के लिए हाई पावर कमेटी का गठन किया जाए। इसमें रेलवे के गैंगमैन से लेकर सुपरवाइजर कैडर को भारी नुकसान हुआ है। फेडरेशन के प्रवक्ता एसएन मलिक के अनुसार संगठन ने केंद्र सरकार व रेलवे बोर्ड को पत्र लिखकर चेतावनी दी है कि यदि ऐसा नहीं हुआ तो रेल कर्मचारियों को मजबूरन कड़े कदम उठाने पड़ेंगे। रेल मंत्रालय से आश्वासन मिलने के बाद भी सेफ्टी कैटेगरी के रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है। उत्तरीय रेलवे मजदूर यूनियन के महामंत्री बीसी शर्मा ने कहा कि कुछ भ्रष्ट अधिकारी ठेकेदारी प्रथा को बढ़ावा दे रहे हैं तथा श्रमिकों के लिए बनाई गई योजना का लाभ नहीं दिलाना चाहते(दैनिक जागरण,दिल्ली,14.5.11)।

झारखंडःशिक्षक परीक्षा के लिए 40 हजार प्रवेश पत्र जारी

Posted: 14 May 2011 08:30 AM PDT

प्राथमिक शिक्षक व उर्दू शिक्षक नियु िपरीक्षा के लिए प्रवेश पत्र जारी करने की प्रक्रिया गुरुवार को शु हो गयी. गुरुवार को 40 हजार परीक्षार्थियों का प्रवेश पत्र निर्गत किया गया. 16 जून से परीक्षार्थी वेबसाइट से प्रवेश पत्र डाउनलोड कर सकते हैं. परीक्षा में शामिल होने के लिए 1 लाख 31 हजार छात्रों ने आवेदन दिया है(प्रभात खबर,रांची,14.5.11).

रांची विश्वविद्यालयःपरीक्षा के लिए देने होंगे अधिक पैसे!

Posted: 14 May 2011 08:10 AM PDT

रांची विश्वविद्यालय ने परीक्षा शुल्क में वृद्धि का प्रस्ताव तैयार किया है. मंजूरी मिलने के बाद छात्रों को 180 की जगह 300 रुपये चुकाने होंगे. स्नातकोत्तर के विद्यार्थियों को 215 की जगह 400 रुपये परीक्षा शुल्क देने होंगे.
इसके अलावा छात्रों को अंतिम कक्षा में डिग्री प्रमाण पत्र के लिए 600 रुपये देने होंगे. माइग्रेशन के लिए 100 रुपये जमा करने होंगे. 14 मई को विश्वविद्यालय परीक्षा बोर्ड की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलने की संभावना है.
क्यों किया प्रस्ताव : शिक्षकों की उत्तर पुस्तिका मूल्यांकन पारिश्रमिक दर बढ़ाने की मांग को देखते हुए यह प्रस्ताव तैयार किया गया है. इसके लिए कुलपति की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया था. कमेटी में प्रोवीसी, कुलसचिव, परीक्षा नियंत्रक, वित्त परामर्शी व वित्त पदाधिकारी को रखा गया. कमेटी ने स्नातक स्तर की प्रत्येक उत्तर पुस्तिका की मूल्यांकन दर सात से बढ़ा कर 10 रुपये करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है. इसके अलावा स्नातकोत्तर स्तर की प्रत्येक उत्तर पुस्तिका की मूल्यांकन दर 10 से बढ़ा कर 15 रुपये का प्रस्ताव दिया है(प्रभात खबर,रांची,14.5.11).

प्रभात खबर में पत्रकार बनने का अवसर

Posted: 14 May 2011 07:50 AM PDT

पत्रकार बनना चाहते हैं?
यदि आप अपने आसपास हो रही घटनाओं, घटनाक्रमों और गड़बड़ियों के प्रति संवेदनशील हैं,
यदि आप उत्सुक रहते हैं तमाम चीजें जानने को और फ़िर उन्हें लोगों के साथ शेयर करने को,
यदि आप काम के घंटे की नहीं, काम की परवाह करते हैं,
यदि आपमें जज्बा है, जोश है, जुनून है, अपने लोगों, समाज, क्षेत्र और देश के लिए कुछ करने का, तो हिस्सा बनें, तीन माह के कुल सीट - 25 मात्र.
अनिवार्य योग्यता - न्यूनतम 55 प्रतिशत अंकों के साथ किसी भी विषय में स्नातक एवं 10वीं या 12वीं में से किसी एक में प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण. उम्र - 26 वर्ष से कम.
आवेदन करें - आवेदन फ़ार्म प्रभात खबर इंस्टीट्यूट आफ़ मीडियास्टडीज के कार्यालय से 300 रूपये में प्राप्त किया जा सकता है. यहां से, www.prabhatkhabar.com से, भी आवेदन फ़ार्म डाउनलोड कर 300 रूपये का डिमांड ड्राफ्ट (Neutral Publishing House Limited के नाम से रांची पर देय) संलग्न कर जमा कर सकते हैं.
अंतिम तिथि - फ़ार्म जमा करने की अंतिम तिथि - 23 मई 2011

प्रोग्राम खर्च - 15000 रूपये
प्रवेश प्रक्रिया - उम्मीदवारों का चयन लिखित परीक्षा / इंटरव्यू के आधारपर किया जायेगा. परीक्षा 29 मई 2011 को रांची में होगा. परीक्षा का समय, स्थान एवं अन्य जानकारी वेबसाइट पर से प्राप्त कर सकते हैं.
प्लेसमेंट - इस प्रोग्राम को सफ़लतापूर्वक पूरा करनेवाले उम्मीदवारोंको प्रभात खबर के विभिन्न संस्करणों में प्लेसमेंट किया जायेगा.
पता - प्रभात खबर इंस्टीट्यूट आफ़ मीडिया स्टडीज,एमएचआई कांप्लेक्स, ओल्ड एचबी रोड, कोकर, रांची ड्ढ 834001,फ़ोन ड्ढ 0651- 2531797 (सुबह 10.00 बजे से सायं 5.00 बजे तक)
तो चलिए, यहां आवेदन-फॉर्म डाउनलोड कीजिए(प्रभात खबर,रांची,12.5.11).

उत्तराखंडःप्रधानाचार्य खुद करेंगे स्कूलों का मूल्यांकन

Posted: 14 May 2011 07:30 AM PDT

राजकीय स्कूलों की दशा में सुधार के लिए॒ शिक्षा विभाग ने नायाब तरीका ढूंढ निकाला है। विभिन्न मानदंडों के आधार पर अब प्रधानाचार्य खुद अपने स्कूलों का मूल्यांकन कर विभाग को भेजेंगे। इसके बाद सर्वोत्कृष्ट श्रेणी प्राप्त करने वाले विद्यालयों को पुरस्कृत किया जाएगा।
शैक्षिक सत्र वर्ष २०११-१२ में कक्षा एक से लेकर १२ तक समस्त विद्यालयों में स्वमूल्यांकन के आधार पर विद्यालयों के कोटिकरण॒ की व्यवस्था लागू की गई है। इसमें सभी प्रधानाध्यापक और प्रधानाचार्य विद्यालय भवन एवं अन्य भौतिक संसाधनों की उपलब्धता, प्रशासनिक एवं वित्तीय गतिविधियां, भवन सज्जा, रेन हार्वेस्टिंग, कार्यालय, प्रयोगशाला, कंप्यूटर, पुस्तकालय कक्ष समेत हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट के परीक्षाफल जैसे बिंदुओं के आधार पर अपने विद्यालय का मूल्यांकन खुद करेंगे। स्वमूल्यांकन बीस मई से पूर्व करना होगा। इसके बाद विभागीय अधिकारी नवंबर में स्कूलों का निरीक्षण कर दावों की जांच करेंगे।
'विद्यालयों की दशा में सुधार के साथ ही विद्यालयों की भौतिक, वित्तीय, अकादमिक गतिविधियों का स्तर जानने के लिए॒ स्वमूल्यांकन कराया जा रहा है। स्वमूल्यांकन के बाद दूसरा मूल्यांकन विभाग के अधिकारी करेंगे, ताकि पता चले कि स्वमूल्यांकन सही है या नहीं। इसके बाद स्कूलों को सर्वोत्तम श्रेणी ए वन ए टू और न्यूनतम श्रेणी डी वन डी टू दी जाएगी। सर्वोत्कृष्ट स्कूलों को जिला शिक्षा अधिकारी पुरस्कृत करेंगे(अमर उजाला,देहरादून,14.5.11)।

देहरादूनःप्रवेश में इंटरव्यू और फीस वृद्धि पर रोक लगाने की मांग

Posted: 14 May 2011 07:10 AM PDT

राजधानी के पब्लिक स्कूलों मनमानी फीस वृद्धि और प्रवेश के लिए बच्चों और अभिभावकों का इंटरव्यू के खिलाफ अभियान के अंतर्गत कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने ऐन मैरी स्कूल के प्रिंसिपल से मुलाकात की। उन्होंने प्रधानाचार्य को ज्ञापन देकर उचित कार्रवाई की मांग की।
शुक्रवार को कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कहा कि पब्लिक स्कूलों द्वारा नियमों को ताक पर रखकर फीस वृद्धि की गई है। प्रवेश के लिए छोटे बच्चों का इंटरव्यू लिया जा रहा है। वही वंचित वर्ग के बच्चों को प्रवेश देने में ये स्कूल आनाकानी कर रहे हैं। ऐन मैरी स्कूल के प्रिंसिपल को दिए ज्ञापन में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कहा कि फीस के अलावा कोई दूसरा फंड न लिया जाए। साथ ही अनुसूचित जाति-जनजाति, ओबीसी, विकलांग बच्चों को निःशुल्क प्रवेश देने की मांग की गई(अमर उजाला,देहरादून,14.5.11)।

देहरादूनःग्राफिक एरा विवि में गणित को रोचक बनाने के तौर-तरीकों पर चर्चा

Posted: 14 May 2011 06:50 AM PDT

ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमीनार में गणित और अधिक रोचक बनाने, गणित अध्यापन की गुणवत्ता बढ़ाने आदि पर चरचा की गई। कहा कि गणित के बिना विज्ञान और इंजीनियरिंग की परिकल्पना बिलकुल निरर्थक है। सेमिनार में करीब १२ देशों समेत देश के विभिन्न शिक्षण संस्थानों से करीब १५० प्रतिभागी शामिल हो रहे हैं।
'रोल ऑफ मैथमेटिक्स इन साइंस एंड इंजीनियरिंग' विषय पर आयोजित इस सेमिनार का आयोजन ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय और आईएसएचआर यानी इंडियन सोसाइटी ऑफ हिस्ट्री ऑफ मैथमेटिक्स मिलकर कर रहे हैं। शुक्रवार को बतौर मुख्य अतिथि आईएएचआर के अध्यक्ष एसजी दानी ने राइस ऑफ मॉडर्न मैथमेटिक्स इन इंडिया विषय व्याख्यान देते हुए कहा कि इंजीनियरिंग और सांइस बिना मैथमेटिक्स के संभव ही नहीं है। गणित के प्रयोग के साथ ही इंजीनियरिंग और साइंस में तरक्की हो सकती है। ग्राफिक एरा के अध्यक्ष प्रो कमल घनशाला ने कहा कि भारत ने दुनिया को शून्य देकर गणित और गणनाओं को एक नए मुकाम पर पहुंचाया है। ब्राजील, इजराइल,दक्षिण अफ्र ीका, सर्बिया और नेपाल से आए गणितज्ञों ने कहा कि मैथमेटिक्स ने ही सिस्टेमेटिक तरीके से दुनिया को काम करना सिखाया है। पूर्वांचल विवि के उप कुलपति प्रो सुंदर लाल ने मैथमेटिक्स एंड नेटवर्क सिक्योरिटी पर, प्रो. कृपा संधू चैधरी ने बायो इकोनामिक सिस्टम, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो आर एस कौशल ने डॉयनेमिकल इनवेरियेंट एंड देयर रोल एंड स्कोप इन इंजीनियरिंग प्रोबलम पर, प्रो विनोद मिश्रा ने वेवलेट एंड इट्स न्यूमेरिकल एप्लीकेशन्स पर, प्रो राजेंद्र पंत ने इंटरेक्टिव प्रोसीजर एंड कम्यूटेशन ऑफ फिस्सड प्वाइंटस पर, एस एल सिंह ने कनवरजेंस ऑफ न्यूमेरिकल्स प्रेक्टिस, एल एम साहा ने बाइफरकेशन एंड केओस इन डिसक्त्रीट नॉन लीनियर मॉडल पर अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए(अमर उजाला,देहरादून,14.5.11)।

गोरखपुर विविःबीएड मामले में कालेजों पर कार्रवाई की तैयारी

Posted: 14 May 2011 06:30 AM PDT

डीडीयू गोरखपुर विश्वविद्यालय प्रशासन कई संबद्ध बीएड कालेजों पर कार्रवाई की तैयारी में जुट गया है। मामला है दुलारी देवी पीजी कालेज देवरिया के सत्र २००८-०९ के बीएड छात्रों के परीक्षा फार्म भरवाने का। हाईकोर्ट के निर्देश पर इन छात्रों को अलग-अलग कालेजों में समायोजित कराकर छह जून से विवि केन्द्र पर परीक्षा कराने का विश्वविद्यालय प्रशासन ने निर्णय लिया है।

इस कालेज के बीएड छात्रों की परीक्षा का मामला काफी दिनों से लटका था। हाईकोर्ट द्वारा इन छात्रों की परीक्षा कराये जाने के निर्देश पर विवि में परीक्षा समिति की बैठक हुई। बैठक के निर्णय के मुताबिक परीक्षा नियंत्रक प्रो. एनएन त्रिपाठी ने कई बीएड कालेजों को पत्र जारी कर इन छात्रों को समायोजित किया था। साथ ही परीक्षा फार्म भरवाकर विवि को भेजने की बात कही गयी थी। इसी बीच इस कालेज के छात्र आरोपों का पुलिन्दा लेकर विश्वविद्यालय पहुंचने लगे। बृहस्पतिवार को प्रशासकीय भवन में कुलपति से मिलने पहुंचे दर्जनों छात्रों ने आरोप लगाया था कि परीक्षा फार्म भरवाने के नाम पर संबंधित कालेज प्रशासन उन्हें उत्पीड़ित कर रहा है। साथ ही इसकी शिकायत शासन से भी की गयी थी। सूत्रों के मुताबिक इस



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Palash Biswas
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http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

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