Wednesday, May 11, 2011

Fwd: भाषा,शिक्षा और रोज़गार



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From: भाषा,शिक्षा और रोज़गार <eduployment@gmail.com>
Date: 2011/5/10
Subject: भाषा,शिक्षा और रोज़गार
To: palashbiswaskl@gmail.com


भाषा,शिक्षा और रोज़गार


शराब उद्योग में करिअर

Posted: 09 May 2011 11:29 AM PDT

आज जोर पकड़ते कॉर्पोरेट कल्चर में वाइन हर पार्टी और सामरोह की जरूरत मानी जाने लगी है। १६ वीं शताब्दी से ही स्पेन, फ्रांस, लंदन जैसे देशों में वाइन इतनी प्रचलित हो गई है कि इसे बनाने के लिए एक खास किस्म की खेती पर जोर दिया जाने लगा। रोम के साम्राज्य में तो वाइन को "भगवान का अमृत" की उपाधि भी दी गई। वर्तमान समय में वाइन की मांग दिनोदिन बढ़ती जा रही है और यह इतनी प्रचलित हो चुकी है कि लोगों ने वाइन के उत्पादन, वितरण आदि में अपना कॅरिअर तलाशना भी आरंभ कर दिया है। ऐसा देखा गया है कि खासकर युवाओं में इस कॅरिअर को लेकर उतना ही उत्साह और रोमांच है जितना आईटी या मेडिकल के प्रोफेशन को लेकर होता है। वाइन बिजनेस का क्षेत्र अर्थव्यवस्था के ३ प्रमुख अंगों से जुड़ा हुआ है - कृषि, उत्पादन और विनिमय। अंगूर उद्योग से सीधे तौर पर जुड़ी हुई आर्थिक गतिविधि आपके सामने विभिन्न नौकरियां लेकर आती है।

बढ़ती वाइन इंडस्ट्री

सबसे पहला सवाल यह है कि पश्चिमी देशों से लोकप्रिय हुई वाइन की भारत में कितनी लोकप्रियता है। यहां हम समाज के एक ऐसे वर्ग की बात कर रहे हैं जो अपनी रुचि के काम में ही कॅरिअर तलाशता है। उसकी रुचि ही उनका जुनून है और वही उनकी जीविका भी बनाती है। वाइन के सभी जानकर एक बात से सहमत होंगे कि वाइन का उत्पादन करना सिर्फ एक बिजनेस नहीं बल्कि एक कला है। इसकी गंभीरता का पता यह देखकर ही लगाया जा सकता है कि भारत में वाइन गे्रजुएशन और मैनेजमेंट के स्कूल कितनी तेजी से और किस तादाद में खुल रहे हैं। लोग आज इस विषय में रुचि दिखाने लगे हैं कि प्रोफेशनल क्वालिटी की वाइन बनाने, अंगूरों का चयन करने और बोतलों को अच्छे तरीके से प्रस्तुत करने के लिए फॉर्मल प्रशिक्षण कहां से लिया जाए।

प्रशिक्षण का दायरा

वाइन मैनेजमेंट स्कूलों के प्रशिक्षण कार्यक्रमों में छात्रों को अंगूर की समस्त किस्मों के बारे में जानने, वाइन की प्रोसेसिंग समझने का और वाइन की बोटलिंग करने के तरीके को सीखने का अवसर मिलता है।


भारत की प्रख्यात अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता की वाइन निर्माता कंपनी "निरवाना बायोसिस" के ज्वाइंट मैनेजिंग डायरेक्टर एम. के. रुस्तगी के अनुसार, वाइन उद्योग में कॅरिअर बनाने के लिए आपको शिक्षा, डिग्री, सालों का अनुभव और वाइन के प्रकारों को अच्छा ज्ञान आदि सब कुछ चाहिए। यह सब मात्र वाइन पीने से नहीं आता। हालांकि आप स्नातक के पश्चात वाइन उद्योग से जुड़ सकते हैं। परंतु एक प्रोफेशनल कोर्स आपके पद और आमदनी में चार चांद लगा सकता है। 

ओएनोलॉजिस्ट - यह एक प्रोफेशनल वाइनमेकर होता है जो अंगूरों की जांच करता है, जूस में खमीर उठाता है और वाइन बनाने तक स्टोरेज भी संभालता है। 

वाइनयार्ड मैनेजर - यह वाइन प्रोफेशनल अंगूरों की खेती से जुड़े काम देखता है, फसलों का ध्यान रखता है और मौसम के हिसाब से अलग-अलग प्रकार के अंगूरों की खेती कराता है। 

सेलर मैनेजर - यह वाइन प्रोफशनल वाइन का संग्रह करता है ताकि वे अच्छी तरह पक्क जाएं। इसके अलावा सेलर मैनेजर सेल्स के साथ-साथ ग्राहकों और अतिथियों के लिए टूर का इंतजाम भी करता है। 

सेलर हैंड - यह पद सेलर मैनेजर के एस्सिटेंट का है जो हर दैनिक कार्य व प्रणाली में मैनेजर की सहायता करता है। 

वाइन रिसर्च - यह वाइन प्रोफेशनल समस्त फील्ड रिसर्च अध्ययन के लिए जिम्मेदार होता है। इसे अंगूर की अच्छी पैदावार के लिए उपयुक्त दशाओं, मिट्टी आदि का भी ज्ञान होता है। 

एक्सपर्ट वाइनमेकर - यह वाइन प्रोफेशनल ही मूलतः वाइन के उत्पादन का कारोबार संभालता है। इस व्यक्ति को फिजिक्स तथा कैमेस्ट्री का अच्छा ज्ञान होना चाहिए।युवाओं में इस कॅरिअर को लेकर उतना ही उत्साह और रोमांच है जितना आईटी या मेडिकल प्रोफेशन को लेकर होता है। वाइन बिजनेस का क्षेत्र अर्थव्यवस्था के तीन प्रमुख अंगों से जुड़ा हुआ है - कृषि, उत्पादन और विनिमय। अंगूर उद्योग से सीधे तौर पर जुड़ी हुई आर्थिक गतिविधि आपके सामने विभिन्न नौकरियां लेकर आती है।

यह उद्योग आप किसी होटल व रेस्तरां से आरंभ कर सकते हैं और धीर-धीरे आयात-निर्यात से लेकर स्वतंत्र कंसलटेंट आदि की नौकरी भी चुन सकते हैं। आरंभ में वेतन कुछ इस प्रकार रहता है -

जूनियर सोम्मेलियर-५,००० से ७,००० रु. प्रति माह 

सीनियर सोम्मेलियर-७,००० से १०,००० रु. प्रति माह 

हेड सोम्मेलियर-१०,००० से २५,००० रु. प्रति माह 

इंडिपेंडेंट वाइन कंसलटेंट-२५,००० से २ लाख रु. प्रति माह 

आज काफी प्रचलित होते जा रहे इस क्षेत्र से सेल्स, फाइनेंस, अकाउंटिंग, हॉस्पिटेलिटी, रिटेल जैसे तमाम विषय जुड़ चुके हैं। वाइन बिजनेस से जुड़ने के लिए आपको जिस तरह के कोर्स की आवश्यकता है वह कराने वाले कुछ प्रमुख संस्थान हैं : 

नवाइनक्रेस्ट इंडिया, दिल्ली 

नइंस्टिट्यूट ऑफ वाइन एंड बेवरेज स्टडीज, दिल्ली 

नकेबीआर स्कूल ऑफ वाइन, मुंबई (दीपिका शर्मा,नई दुनिया,दिल्ली,9.5.11)

पांच लाख से अधिक ग्रेजुएट रोजगार योग्य बनेंगे

Posted: 09 May 2011 11:10 AM PDT

टीएमआई और एनएसडीसी के संयुक्त प्रयास से भारत में ५ लाख से अधिक ग्रेजुएट रोजगार योग्य बन पाएंगे। यह घोषणा दिल्ली में टीएमआई ई-२-ई एकेडमी प्रा. लिमिटेड के प्रबंध निदेशक टी. मुरलीधरन और एनएसडीसी के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ दिलीप चिनॉय ने की।

"टेलेंट एक्विजिशन" और "टेलेंट डेवलपमेंट" के कार्य में २० साल पूरे करने के बाद टीएमआई ग्रुप (टेलेंट मैनेजमेंट इंटरनेशनल) और एनएसडीसी (नेशनल स्किल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन) ने संयुक्त रूप से टीएमआई ई-२-ई एकेडमी प्राइवेट लिमिटेड के गठन की घोषणा की। टीएमआई ई-२-ई एकेडमी टी. एम. इनपुट्स एंड सर्विसेज प्रा. लिमिटेड और सी एंड के (सीएनके) मैनेजमेंट (दोनों ग्रुप कंपनियों) के बीच एक संयुक्त उपक्रम है जो ३१ राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के ५.२६ लाख गे्रजुएट के लिए २९.२१ करोड़ रुपए के निवेश से रोजगार समस्या का हल देगा।


एनएसडीसी की भागीदारी में टीएमआई ई-२-ई एकेडमी की इस पहल से एक बड़ी समस्या का हल हो जाएगा जो आज के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में एक है। हर साल लगभग २० लाख गे्रजुएट यह डिग्री प्राप्त करते हैं जिनमें केवल २०-२५ प्रतिशत रोजगार योग्य पाए जाते हैं। बाकी को चयन प्रक्रिया और साक्षात्कार में बार-बार विफलता के बाद निराशा हाथ लगती है। इसकी वजह है कॉर्पोरेट जगत की उनसे उम्मीदें और नौकरी के लिए भागते गे्रजुएट में आवश्यक कौशल के बीच बड़ी खाई। कुछ कॉर्पोरेट कंपनियां यदि ऐसे उम्मीदवारों को चुन कर अपने खर्च से उनका कौशल विकास करती है, प्रशिक्षण देती है तो कंपनियों को जल्द ही पछताना पड़ता है क्योंकि प्रशिक्षण लेने के बाद रोजगार योग्य होते ही गे्रजुएट बेहतर रोजगार के लिए हाथ मारने लगते हैं।

इस उद्यम के तहत टीएमआई ई-२-ई सेल्स, कस्टमर सर्विस, तकनीकी सहायता, उत्पादन और बैक ऑफिस के तरह-तरह के कार्यों को बखूबी अंजाम देने के लिए हाल के ग्रेजुएट और डिप्लोमा होल्डर को प्रशिक्षण देगी। टीएमआई ई-२-ई की योजना आने वाले समय में नए रोजगारों के मद्देनजर ४४ कोर्स शुरू करने की है। योजना के तहत १६ उद्योग क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित होगा जैसे टेलीकॉम, रिटेल, बैंकिंग, वित्तीय सेवाएं, बीमा, ऑटोमोबाइल, फार्मास्युटिकल्स, उत्पादन, आईटीईएस, आईटी, एफएमसीजी, एग्री-इनपुट, लॉजिस्टिक्स, टाइम शेयर रिजॉर्ट्‌स, हॉस्पिटेलिटी और एयरपोर्ट मैनेजमेंट। इसके अतिरिक्त टीएमआई ई-२-ई एक अनूठा मॉडल जेओजेओई (ज्वाइंटली ओंड जॉब ओरिएंटेड एजुकेशन) भी लागू करेगी। इस मॉडल में विद्यार्थियों का पहले ही मूल्यांकन होगा और सेल्स, कस्टमर सर्विस, बैक ऑफिस के शुरुआती स्तर पर प्रवेश के दृष्टिकोण से खास प्रशिक्षण दिया जाएगा। कोर्स का करिकुलम रोजगार देने वाली कंपनियां तय करेंगी और सभी विद्यार्थियों को प्रशिक्षण से पहले नामांकन-पूर्व (जॉब) ऑफर दिए जाएंगे ताकि सफलतापूर्वक प्रशिक्षण के तुरंत बाद वे नौकरी पर लग जाएं(नई दुनिया,दिल्ली,9.5.11)।

औद्योगिक सुरक्षा प्रबंधन में करिअर

Posted: 09 May 2011 10:50 AM PDT

पीरागढ़ी के उद्योग विहार इलाके में एक फैक्ट्री में आग लग जाने से दर्जन भर मजदूरों की मौत के मामले ने औद्योगिक सुरक्षा पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है। एक ओर जहां उद्योग जगत खुद अपनी सुरक्षा पर ध्यान नहीं दे रहा। दूसरी ओर इस क्षेत्र में प्रशिक्षित युवाओं की कमी भी इसका कारण बन रही है। इस कमी को इंडस्ट्रियल सेफ्टी मैनेजमेंट के कोर्स से प्रशिक्षित होकर कम किया जा सकता है। औद्योगिक विकास की बात करें या इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट की, प्राकृतिक आपदा, इमारतों की सुरक्षा या फिर आग से बचाव के उपायों की। इंडस्ट्रियल सेफ्टी मैनेजमेंट में प्रशिक्षित लोगों की जरूरत हर जगह है। दिल्ली-एनसीआर में जिस तरह से औद्योगिक विकास हुआ है। नई-नई औद्योगिक इकाईयां लग रही हैं उसी गति से औद्योगिक सुरक्षा के पेशेवरों की मांग बढ़ रही है।

कहां मिल सकता है मौका :

सभी तरह के औद्योगिक क्षेत्र में सेफ्टी मैनेजमेंट में प्रशिक्षित लोगों की जरूरत होती है। देश में जहां फायर प्रोटेक्शन इंजीनियर, एनवायरमेंटल सेफ्टी मैनेजर, रिस्क मैनेजमेंट कंसल्टेंट के रूप में रोजगार के अच्छे अवसर मौजूद हैं। वहीं विदेशों में भी इसी तरह के पदों पर नियुक्ति मिल जाती है। सलाहकार के रूप में भी आप विभिन्न कंपनियों को अपनी सेवाएं दे सकते हैं।

शैक्षिक योग्यता :

१० वीं के बाद ही इस क्षेत्र में रोजगार के दरवाजे खुल जाते हैं। हालांकि उम्मीदवार स्नातक हो और अंग्रेजी सहित कुछ अन्य भाषाओं का ज्ञान भी हो तो रोजगार के अवसर और ज्यादा व्यापक हो जाते हैं। इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले छात्रों को और ज्यादा आसानी हो जाती है। अधिकांश संस्थान विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश देने के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित करते हैं। शारीरिक रूप से भी उम्मीदवार को ठीक होना जरूरी है।

कैसा होता है पाठ्यक्रम :


इस तरह के कोर्स नियमित और पत्राचार दोनों तरह से किए जा सकते हैं। सेफ्टी मैनेजमेंट से संबंधित पाठ्यक्रम बेहतर प्रशिक्षण देकर युवाओं को जिम्मेदार और पेशेवर बनाने को ध्यान में रखकर तैयार किए गए हैं। इसमें डिप्लोमा और सर्टिफिकेट के साथ शोध तक किया जा सकता है। खास बात यह कि शॉर्टटर्म पाठ्यक्रम के द्वारा भी यह कोर्स किए जा सकते हैं। पढ़ाई के दौरान छात्रों को आपात कालीन नियंत्रण, उपकरणों का परीक्षण और उपयोग, सुरक्षा मानकों का प्रयोग और इंडस्ट्रियल सेफ्टी की मॉनिटरिंग का प्रशिक्षण दिया जाता है। पाठ्यक्रम छह माह से दो वर्ष तक के होते हैं। कोई भी उम्मीदवार योग्यतानुसार इनमें प्रवेश ले सकता है। काम चुनौती भरा होता है। इसलिए जिम्मेदार व्यक्ति ही इस क्षेत्र में आगे बढ़ पाते हैं।

कोर्स कहां से करें-
१ दिल्ली कॉलेज ऑफ फायर एंड सेफ्टी इंजीनियरिंग, नई दिल्ली। फोनः ३२०८५३५३/५४

२ पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी। फोनः ९९११७५७३९४, ९३१२८७१६८६

३ नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी मैदानगढ़ी, दिल्ली।

(हीरेन्द्र सिंह राठौड़,नई दुनिया,दिल्ली,9.5.11)

एआइईईई 11 को, ऑनलाइन डाउनलोड करें प्रवेश पत्र

Posted: 09 May 2011 10:34 AM PDT

एक मई को पेपर लीक होने के कारण जिन छात्रों की एआइईईई की प्रवेश परीक्षा नहीं हो पाई, उनकी प्रवेश परीक्षा परसों यानी 11 मई को होगी। इसके लिए सीबीएसई ने सभी छात्रों के एडमिट कार्ड ऑनलाइन जारी कर दिए हैं। छात्र सीबीएसई की वेबसाइट से अपना ऑनलाइन एडमिट कार्ड ले सकते हैं। इसके लिए छात्रों को अपना-अपना रजिस्ट्रेशन नंबर/एप्लिकेशन नंबर डालना होगा उसके बाद नीचे के कॉलम में अपना जन्म तिथि लिखनी होगी। ये सूचना डालते ही छात्रों को अपना एडमिट कार्ड ऑन लाइन मिल जाएगा। बुधवार को देश भर में 32 हजार 500 छात्र एआइईईई की परीक्षा देंगे जिसके लिए देश 38 शहरों में परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं(दैनिक जागरण संवाददाता,दिल्ली,9.5.11)।

हिमाचलःपांच हजार शिक्षक भर्ती होंगे

Posted: 09 May 2011 10:10 AM PDT

हिमाचल प्रदेश शिक्षा विभाग में पांच हजार शिक्षकों की भर्ती को हरी झंडी दे दी गई है। विभाग में विभिन्न श्रेणियों के पांच हजार शिक्षकों के पदों के अलावा अलग से 970 पद पीजीटी इंफार्मेटिक्स प्रेक्टिसिज के भी सृजित किए गए हैं। यह विषय कला संकाय के जमा एक व जमा दो कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए अनिवार्य बना दिया गया है। वहीं पांच हजार शिक्षकों में से टीजीटी, भाषा अध्यापकों और शास्त्री के पद के लिए टीचर्स एलीजिबिलिटी टेस्ट (टीईटी) पास करना होगा। ये फैसले मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की अध्यक्षता में संपन्न प्रदेश मंत्रिमंडल की सोमवार को हुई बैठक में लिए गए।
शिक्षा के क्षेत्र में अहम फैसले के अनुसार अब उक्त तीनों वर्गो के अध्यापकों के लिए टीईटी अनिवार्य कर दिया गया है। सीबीएसई सहित गुजरात, राजस्थान व दूसरे राज्य टीईटी को लागू कर चुके हैं। पंजाब इसे लागू करने की तैयारी में है। इस फैसले को शिक्षा में गुणवत्ता के साथ जोड़कर देखा जा रहा है। टीईटी पास करने के बाद श्रेष्ठ शिक्षक ही आगे आएंगे। मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने बजट भाषण में इस सत्र में पांच हजार शिक्षकों के पद भरने का ऐलान किया था।
एक अन्य फैसले में कला संकाय में जमा एक व जमा दो कक्षा के लिए इंफार्मेटिक्स प्रेक्टिसिज विषय को अनिवार्य बनाया गया है। इसका मकसद कला संकाय के बच्चों को तेजी से बदलते जमाने में कंप्यूटर के ज्ञान से युक्त करना है। इससे कला के विद्यार्थियों की दक्षता बढ़ेगी और रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। इसके लिए सरकार ने 970 पद सृजित करने का फैसला लिया है। यह शिक्षक पीजीटी की श्रेणी में आएंगे। इन्हें युक्तिकरण के माध्यम से तैनात किया जाएगा(दैनिक जागरण संवाददाता,शिमला,9.5.11)।

बिहारःडुमरांव में शिक्षिका की अवैध नियुक्ति के भंडाफोड़ के बाद भी शिक्षा विभाग मौन

Posted: 09 May 2011 10:00 AM PDT

नावानगर प्रखंड के बेलांव पंचायत क्षेत्र अंतर्गत प्राथमिक विद्यालय कुंज नारा में इंटर के फर्जी शैक्षणिक प्रमाण पत्र के आधार पर दूसरे का हक छीन कर शिक्षक पद पर पिछले आठ माह से विराजमान के विरुद्ध अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है।
आरटीआई से मांगी गयी सूचना के आधार पर कुंज नारा प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत शिक्षिका कंचन कुमारी की बहाली अवैध होने का भंडाफोड़ हुये आठ माह गुजरने के बाद भी शिक्षा विभाग की नींद नहीं खुल सकी है। वहीं, इस पद की हकदार व दावेदार बेलांव निवासी रागिनी सिन्हा न्याय की फरियाद लिये दर-दर भटकने पर मजबूर है। पीड़िता श्रीमति सिन्हा ने बताया कि तमाम साक्ष्यों को नावानगर के प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी को सौंपा जा चुका है। बावजूद उनकी चुप्पी ने कई तरह के सवाल खड़े कर दिये हैं। गौरतलब हो आर.टी.आई का इस्तेमाल अधिवक्ता पवन श्रीवास्तव ने किया था। पीड़िता को न्याय का इंतजार है(दैनिक जागरण संवाददाता,डुमरांव,9.5.11)।

झारखंड में इंटरमीडिएट की एक लाख सीट पर संकट

Posted: 09 May 2011 09:45 AM PDT

इंटरमीडिएट के एक लाख सीट पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. अंगीभूत कॉलेज के शिक्षकों के इंटर की कक्षा नहीं लेने की घोषणा से इन कॉलेजों में सत्र 2011-13 में नामांकन को लेकर संशय उत्पन्न हो गया है. राज्य में इंटर में कुल तीन लाख सीट हैं. इनमें से 1,17,120 सीट अंगीभूत कॉलेजों में हैं.

वर्ष 2011 में 3,57000 छात्र मैट्रिक की परीक्षा में शामिल हुए हैं. पिछले पांच वर्ष के मैट्रिक का परीक्षाफल देखा जाये, तो लगभग 75 से 80 फीसदी परीक्षार्थी सफल रहे हैं. अगर इस वर्ष भी पास करने वाले परीक्षार्थियों का प्रतिशत इसी के आसपास रहा, तो 50 हजार से अधिक छात्रों के लिए नामांकन का संकट खड़ा हो जायेगा.


कहां फंस रहा मामला
यूजीसी के निर्देश के अनुप अंगीभूत कॉलेज से इंटर की पढ़ाई को अलग करना है. मानव संसाधन विकास विभाग ने भी इंटर की कक्षा लेने पर कॉलेज के शिक्षकों को छठा वेतनमान नहीं देने की बात कही है. इस कारण कॉलेज के शिक्षकों ने कक्षा लेने से इनकार कर दिया है. 

फंस गया छात्रों का भविष्य
अंगीभूत कॉलेज में इंटर सत्र 2010-12 के एक लाख छात्रों का भविष्य अंधकार में है. शिक्षकों ने इनकी कक्षा लेने से इनकार कर दिया है, जबकि अभी एक वर्ष की पढ़ाई शेष है. अंगीभूत कॉलेज के अधिकतर शिक्षक इस वर्ष इंटर का मूल्यांकन कार्य भी नहीं कर रहे हैं. 

वैकल्पिक व्यवस्था नहीं
सरकार ने डिग्री कॉलेजों में इंटर की पढ़ाई बंद करने को कहा है, पर इसकी कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गयी है. हालांकि झारखंड एकेडमिक काउंसिल ने कई बार इस ओर सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया है. 

कोर्ट को दिया आश्वासन
वर्ष 2004 में इंटरमीडिएट शिक्षक शिक्षकेतर कर्मचारी महासंघ ने इंटर की पढ़ाई अलग करने के लिए हाइकोर्ट में याचिका दायर की थी. हाइकोर्ट ने सरकार से पूछा था कि राज्य में इंटर की पढ़ाई कब तक अलग होगी. 

हाइकोर्ट को दिये जवाब में शिक्षा विभाग ने राज्य में अंगीभूत व डिग्री संबद्ध कॉलेजों से शीघ्र इंटर की पढ़ाई अलग करने की बात कही थी, लेकिन अब तक इस पर अमल नहीं हुआ(प्रभात खबर,रांची,9.5.11).

यूपीःपहली बीएड काउंसिलिंग में दो लाख छात्रों को मिलेगा मौका

Posted: 09 May 2011 09:30 AM PDT

दो जून को होने वाली राज्य स्तरीय बीएड प्रवेश परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों की मेरिट सूची में कम से कम दो लाख तक की रैंक पाने वाले अभ्यर्थियों को पहले चरण की काउंसिलिंग में शामिल करने की योजना शासन ने तैयार की है। बीएड प्रवेश प्रक्रिया को लेकर सचिव उच्च शिक्षा अवनीश अवस्थी की अध्यक्षता में बीते दिनों हुई बैठक में इस पर सहमति जतायी गई है। प्रदेश में बीएड पाठ्यक्रम संचालित करने वाले 1025 कालेज हैं। प्रत्येक कालेज में बीएड की सौ सीटे हैं। इस वर्ष होने वाली बीएड प्रवेश परीक्षा के लिए 5,31,680 आवेदकों ने फार्म भरे हैं। बीते वर्ष इसमें करीब आठ लाख ने आवेदन किया था। स्नातक में 50 प्रतिशत से कम अंक होने के कारण इनमें से 1.45 लाख अभ्यर्थी परीक्षा से बाहर कर दिये गए थे। बीते वर्ष बीएड में प्रवेश के लिए तीन चरणों में हुई काउंसिलिंग में मेरिट सूची में दो लाख पचास हजार तक की रैंक पाने वाले अभ्यर्थी शामिल थे(दैनिक जागरण,लखनऊ,9.5.11)।

पंजाबःटीईटी के बिना पक्के नहीं होंगे शिक्षाकर्मी

Posted: 09 May 2011 09:15 AM PDT

शिक्षा मंत्री सेवा सिंह सेखवां ने स्पष्ट किया है कि राज्य मे शिक्षाकर्मियों को पक्का नहीं किया जा सकता। यदि शिक्षा कर्मी सेवाएं पक्की करना चाहते है तो इन्हें टीईटी (टीचर इलिजिबिलिटी टेस्ट) पास करना होगा। सेखवां आज यहां पर गैर मान्यता प्राप्त एसोसिएटिड स्कूल वेलफेयर फ्रंट तथा एसोसिएटिड शिक्षण संस्थाओं द्वारा आयोजित सम्मान समारोह मे हिस्सा लेने के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सरकार शिक्षाकर्मियों को लेकर चिंतित है, इसीलिए शिक्षाकर्मियों की सेवाओं को पसवक समितियों के घेरे से निकाल कर उन्हें सर्वशिक्षा अभियान प्राधिकरण के तहत लाया गया है, जिससे उनकी सेवाएं अब सुरक्षित हो गई हैं। उन का वेतन भी बढ़ाया गया है। शिक्षाकर्मियों द्वारा पक्के होने के लिए बटाला मे चलाए जा रहे मरणव्रत अभियान पर चिंता प्रकट करते हुए शिक्षा मंत्री सेखवां ने कहा कि इसके पीछे कुछ पार्टियां राजनीतिक रोटियां सेंक रही हैं। इससे पहले गैर मान्यता प्राप्त एसोसिएटिड स्कूल वेलफेयर फ्रंट तथा एसोसिएटिड शिक्षण संस्थाओं द्वारा आयोजित सम्मान समारोह मे अध्यापकों को संबोधित करते हुए सेखवां ने कहा कि राज्य में सरकार द्वारा 20 हजार निजी स्कूलों को एसोसिएटिड स्कूलों के अधिकार दिए हैं, जिस से डेढ़ लाख निजी अध्यापकों तथा साढे़ नौ लाख विद्यार्थियों का भविष्य सुरक्षित होगा(दैनिक जागरण,बटाला,9.5.11)।

यूपी बोर्डःअधिक कॉपियां जांचने की होड़

Posted: 09 May 2011 09:00 AM PDT

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की कॉपियों का मूल्यांकन कार्य जैसे-जैसे समापन की ओर बढ़ रहा है, वैसे-वैसे सेटिंग कर अधिक से अधिक कॉपियां जांचने के काम में तेजी लाई गई है। इस बीच परीक्षक पावना पत्र भरने के काम में जुट गए हैं। कुछ विषयों का पावना पत्र तो पहले ही भर दिया गया है। मूल्यांकन केंद्रों से जुड़े परीक्षक पारिश्रमिक की राशि में इजाफा करने के मद्देनजर कोठार में सेटिंग करके कॉपियां निकाल रहे हैं और फिर उसका मूल्यांकन कर रहे हैं। उनके इस कृत्य से दूसरे परीक्षकों में रोष व्याप्त होता जा रहा है। दूसरी ओर इंटरमीडिएट हिंदी के परीक्षक पावना पत्र भरकर उसे उपप्रधान परीक्षकों को सौंप रहे हैं। हाईस्कूल कला और इंटरमीडिएट अर्थशास्त्र विषय से संबंध परीक्षकों ने पावना पत्र पहले ही भरकर दे दिया है। इस बीच अतिरिक्त परीक्षकों को भी नगर भत्ता देने की मांग उठने लगी है। समय बीतने के साथ ही मूल्यांकन कार्य अब समापन की ओर बढ़ रहा है। सूत्रों के मुताबिक इस काम को 13 मई तक पूरा कर लिया जाएगा(दैनिक जागरण,इलाहाबाद,9.5.11)

यूपीःसरकारी वकीलों की फीस दोगुनी हुई

Posted: 09 May 2011 08:45 AM PDT

मुख्यमंत्री मायावती ने रविवार को यहां जिला और तहसील स्तर पर कार्यरत सरकारी वकीलों की फीस दोगुनी करने का एलान किया। उन्होंने जिला शासकीय अधिवक्ताओं को दी जाने वाली ड्राफ्टिंग फीस, पुस्तकालय और आशुलिपिक भत्ता आदि की वर्तमान दरों में भी बढ़ोत्तरी की घोषणा की। यह भी कहा कि इस संबंध में शासनादेश जारी कर दिया गया है। मुख्यमंत्री ने वकीलों को यह सौगात बीपीएल कार्डधारकों और उप्र मुख्यमंत्री महामाया गरीब आर्थिक मदद योजना के लाभार्थियों की सरकारी वकीलों द्वारा नि:शुल्क पैरवी की सुविधा सुनिश्चित करने के मकसद से आयोजित शासकीय अधिवक्ताओं के सम्मेलन में दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने फौजदारी, दीवानी तथा राजस्व के जिला शासकीय अधिवक्ताओं की रिटेनर फीस 3,000 रुपये से बढ़ाकर 6,000 रुपये प्रतिमाह और बहस के लिए दी जाने वाली फीस को 550 रुपये से बढ़ाकर 1100 रुपये प्रति कार्यदिवस कर दिया है। इसी तरह फौजदारी, दीवानी तथा राजस्व के अपर जिला शासकीय अधिवक्ता की रिटेनर फीस 2,400 रुपये से बढ़ाकर 4,800 रुपये प्रतिमाह तथा बहस की फीस 500 से बढ़ाकर 1000 कर दी गई है(दैनिक जागरण,लखनऊ,9.5.11)।

डीयूःरेगुलर कोर्सो में माइग्रेशन 17 अक्टूबर तक

Posted: 09 May 2011 08:30 AM PDT

डीयू में दाखिला प्रक्रिया के बाद अगर छात्रों को किसी कोर्स में परिवर्तन करवाना है या एक कॉलेज से दूसरे कॉलेज में दाखिला पाना है तो रेगुलर कॉलेजों में इसके लिए 17 अक्टूबर आखिरी तारीख होगी। स्कूल ऑफ ओपन लर्निग से रेगुलर कॉलेज और रेगुलर कॉलेज से ओपन लर्निग में माइग्रेशन के लिए आवेदन 30 नवंबर तक ही हो सकेगा। डीयू के डीन स्टूडेंट वेलफेयर प्रो. जेएम. खुराना बताते हैं कि दाखिला प्रक्रिया का प्रारूप एक समान करने की दिशा में यह कदम उठाए जा रहे हैं। इस बार सभी कोर्सो में दाखिला प्रक्रिया जून माह से शुरू हो रही है, जो जुलाई माह तक चलेगी। रेगुलर कोर्सो में 21 जुलाई से नए सत्र की पढ़ाई शुरू हो जाएगी, जिससे सेमेस्टर सिस्टम की पढ़ाई समय पर पूरी हो सकेगी और परीक्षा परिणाम भी तय समय पर घोषित होंगे। कॉलेज में दाखिला प्रक्रिया से संबंधित कार्य सुबह दस बजे से दोपहर एक बजे तक होंगे, जबकि सांध्य कॉलेजों में दाखिला प्रक्रिया शाम 4 बजे से 7 बजे तक चलेगी। इस बार दाखिला प्रक्रिया में खास बदलाव यही है कि रेगुलर कॉलेज के कोर्सो में एससी/एसटी को छोड़कर सेंट्रलाइज्ड दाखिला फॉर्म खत्म कर दिया गया है। ग्रेजुएशन के रेगुलर कोर्सो में दाखिले के लिए पहली कट ऑफ सूची 15 जून को जारी होगी। 16 जून से दाखिला फीस जमा कराने के लिए छात्रों को चार दिन मिलेंगे। ऐसा हर कट ऑफ लिस्ट जारी होने पर होगा। डीयू इस बार चार नहीं पांच कट ऑफ लिस्ट जारी करेगा। छात्रों को कट ऑफ सूची जारी होने से पहले किसी प्रकार का दाखिला आवेदन फॉर्म नहीं भरना है। छात्रों की कट ऑफ जारी होने से महीना भर पहले सेंट्रलाइज्ड दाखिला फॉर्म भरने की सारी कवायद खत्म कर दी गई है। बस छात्रों को करना यह है कि डीयू की वेबसाइट और समाचार पत्रों में जारी कट ऑफ को ध्यान से देखना है। उसके बाद जिस कॉलेज के पसंदीदा कोर्स में छात्र की पात्रता के अनुरूप कट ऑफ का दायरा फिट बैठता हो, छात्र वहां दाखिले के लिए चला जाए। छात्रों की सुविधा के लिए इस बार विवि प्रशासन ई-ओपनडेज भी शुरू करने जा रहे हैं। जिसके ओपन डेज की वीडियो क्लिपिंग को मल्टीमीडिया फाइल में कन्वर्ट करके डीयू वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा, जिससे घर बैठे छात्रों को दाखिला संबंधी सारी सूचनाएं मिल सकें(दैनिक जागरण,दिल्ली,9.5.11)।

यूपीःकागजी साबित हुई मदरसों में मिनी आइटीआइ

Posted: 09 May 2011 08:15 AM PDT

सरकार ने मदरसों में मिनी आइटीआइ (वोकेशनल ट्रेनिंग) की योजना चलाई तो उम्मीद जगी कि अब लोगों को काम मिलेगा। चंदौली के धानापुर के मोहसिन खान ने बड़े अरमान से वोकेशनल ट्रेनिंग की और प्रमाण पत्र हासिल कर लिया। मगर जब वे प्रमाणपत्र लेकर गुड़गांव की एक कंपनी में काम मांगने पहंुचे तो उनका उपहास उड़ाया गया। मोहसिन से कहा गया यह प्रमाणपत्र कहीं मान्य नहीं है। मोहसिन खान जैसे हजारों बेरोजगारों के हुनर को प्रमाणपत्र हासिल करने के बावजूद जब कोई मुकाम नहीं मिला तो उनकी उम्मीदें दम तोड़ने लगी। और तो और जिस राज्य सरकार की पहल पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है, उस सरकार ने भी अपनी नौकरियों में इस प्रशिक्षण को कोई स्थान नहीं दिया है। उल्लेखनीय है 2002-03 में प्रदेश सरकार ने सूबे के पचास मदरसों में वोकेशनल ट्रेनिंग देने का निर्णय किया। 2005 में इसे 140 मदरसों में लागू कर दिया गया। इसके संचालन के लिए उत्तर प्रदेश मदरसा वोकेशनल ट्रेनिंग की स्थापना की गई। मदरसों में मिनी आइटीआइ का अलग डिवीजन बनाया गया और उसके संचालन के लिए तीन अनुदेशक, एक क्लर्क और एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की नियुक्ति की गयी। तब से हर वर्ष करीब छह हजार छात्र यह प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं, लेकिन इस प्रमाणपत्र की सार्थकता सिद्ध नहीं हो पा रही है। प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके आरिफ, अबरार, मुबारक, तारिक, नियाज, वकील व निजामुद्दीन जैसे कई युवा बताते हैं कि जब उन्होंने इस प्रमाणपत्र के साथ नौकरी के लिए अर्जी लगाई तो उसे खारिज कर दिया गया। इन युवाओंकी आवाज उठाने वाले एम अफसर खान सागर तो कहते हैं कि यह प्रमाण पत्र सिर्फ कागजी फूल होकर रह गया है। इस प्रमाण पत्र के अस्तित्व को लेकर जब उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद के रजिस्ट्रार जावेद असलम से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा मिनी आइटीआइ तो परंपरागत नाम है, यह स्वरोजगार प्रशिक्षण है जो मुसलमान युवाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए की गई एक पहल है। प्रशिक्षण हासिल कर बहुत से युवा खुद का रोजगार कर रहे हैं। तकनीकी विशेषज्ञों ने बताया कि आइटीआइ का वही प्रमाण पत्र मान्य होता है, जिसे नेशनल काउंसिल फार वोकेशनल ट्रेनिंग एनसीवीटी या राज्य की एससीवीटी में से किसी की मान्यता हो(आनंद राय,दैनिक जागरण,लखनऊ,9.5.11)।

चौधरी चरण सिंह विविःमार्कशीट जमा करने की तिथि 10 जुलाई

Posted: 09 May 2011 08:00 AM PDT

चौधरी चरण सिंह विवि में अकादमिक सत्र 2011-12 में दाखिले के लिए मार्कशीट जमा करने की अंतिम तिथि अब दस जुलाई करने का फैसला लिया गया है। विवि की ओर से भूलवश मार्कशीट जमा करने की तिथि दस जुलाई की जगह दस जून घोषित कर दी गई थी। छात्रों की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन और फिर रिजल्ट जारी करने को लेकर आ रही समस्या को देखते हुए ही 10 जुलाई तक की तिथि मुकर्रर की गई है(दैनिक जागरण संवाददाता,मेरठ,9.5.11)।

कार्टून से पढ़ेंगे बच्चे विज्ञान का पाठ

Posted: 09 May 2011 07:45 AM PDT

तकनीकी के क्षेत्र में जापान का लोहा पूरी दुनिया मानती है, इसके पीछे उनकी मौलिक वैज्ञानिक सोच का अहम रोल है। जापानी बच्चे कार्टून और कामिक्स की बुक से विज्ञान को रोचक बनाकर पढ़ रहे हैं, जबकि भारत में विज्ञान की पढ़ाई से बच्चे बोर हो रहे हैं। यहां भी बच्चों को विज्ञान की बोरिंग पढ़ाई से निजात दिलाने के लिए जापानी तकनीकी का सहारा लिया जा रहा है। इसमें आने वाले दिनों में बच्चे कॉमिक्स और कार्टून से साइंस पढ़ेंगे।

इसरो में फिजिकल रिसर्च लैब अहमदाबाद के वैज्ञानिक प्रोफेसर हरिओम वत्स सोमवार को मेरठ के एनएएस इंटर कालेज में आए। बकौल वत्स जापान में बच्चों को कामिक्स की शक्ल में साइंस पढ़ाने का ट्रेंड ज्यादा है। जापान में साइंस की बुक कामिक्स की तरह तैयार की जाती हैं। इस बुक से प्रभावित हो नासा के वैज्ञानिकों ने इसका इंग्लिश में अनुवाद किया है। कापीराइट जापान के पास होने की वजह से कार्टून के करेक्टर जापानी है। अभी हाल ही में उन्होंने इसरो की ओर से इसका हिंदी वर्जन तैयार किया है। इसे इसरो की ओर से स्कूलों और इंस्टीट्यूट को भेजकर फीड बैक लिया जाएगा। सबकुछ ठीक रहा तो इसे लागू किया जा सकता है।

रोबोट कुत्ता और वैज्ञानिक के संवाद
प्रो. वत्स ने बताया कि कामिक्स बुक में स्पेस, सोलर, ओजोन होल क्या हैं, आदि कई विज्ञान की चीजों को रोचक तरीके से बताया गया है। इसमें रोबोट कुत्ता और वैज्ञानिक के संवाद को रखा गया है। छोटे-छोटे वाक्य में तस्वीर के साथ यह किताब बच्चों को काफी आकर्षित करेगी(दैनिक जागरण संवाददाता,मेरठ,9.5.11)।

पुलिस स्थापना बोर्ड की अनुमति बगैर तबादला गलत : इलाहाबाद हाईकोर्ट

Posted: 09 May 2011 07:30 AM PDT

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि पुलिस स्थापना बोर्ड की अनुमति के बगैर किसी भी पुलिस कर्मी का तबादला नहीं किया जा सकता है। न्यायालय ने कहा है कि प्रदेश सरकार ने आठ अप्रैल, 2010 को शासनादेश जारी कर क्षेत्रीय पुलिस स्थापना बोर्डो का गठन पहले ही कर दिया है। अत: तबादले से पूर्व बोर्ड की अनुमति लेना जरूरी है। यह आदेश न्यायमूर्ति वीके शुक्ल ने पुलिस उपनिरीक्षक कुमार नारायण सिंह चहल की याचिका पर दिया है। याची लोक सम्पर्क अधिकारी के पद पर गाजियाबाद में तैनात था। आइजी ने 19 फरवरी, 2010 से उसका तबादला गाजियाबाद से बुलंदशहर कर दिया।
याची के अधिवक्ता विजय गौतम का तर्क था कि किसी भी पुलिस कर्मी का तबादला स्थापना बोर्ड की सहमति के बगैर नहीं किया जा सकता। न्यायालय ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर राज्य पुलिस स्थापना बोर्ड का गठन किया गया है। बोर्ड बनने के बाद बोर्ड की अनुमति से ही तबादले किए जा सकते हैं। न्यायालय ने याची के तबादले को रद कर दिया है और प्रकरण को बोर्ड के समक्ष प्रेषित करने का निर्देश दिया है(दैनिक जागरण संवाददाता,इलाहाबाद,9.5.11)।

यूपीःअध्यापकों के लिए विकल्पपत्र का मार्ग प्रशस्त

Posted: 09 May 2011 07:15 AM PDT

प्राथमिक व जूनियर विद्यालय के अध्यापकों के लिए विकल्पपत्र का मार्ग प्रशस्त हो गया है। अब वे अपने मूल जनपद में तैनाती प्राप्त कर सकते हैं।
सचिव बेसिक शिक्षा परिषद इलाहाबाद द्वारा जारी पत्र का हवाला देते हुए जिला बेसिक शिक्षाधिकारी मनोज मिश्र ने बताया कि छत्रपति शाहूजी महाराजनगर जिले के निर्माण के बाद रायबरेली व सुल्तानपुर जिलों के तमाम अध्यापक सीएसएम नगर जिले में आ गये। इसी तरह से सीएसएम नगर जिले के कई अध्यापक सुल्तानपुर व रायबरेली जिले में ही रह गए। इसके कारण अध्यापकों को काफी परेशानी हो रही थी। अध्यापकों की असुविधा को देखते हुए अब उन्हें विकल्प पत्र भरकर उनके मूल जनपद में स्थानांतरण का लाभ विभाग द्वारा दिया जा रहा है। श्री मिश्र ने बताया कि अपने मूल जनपद में तैनाती के इच्छुक अध्यापक विकल्पपत्र भरकर 15 मई तक बीएसए कार्यालय में जमा कर दें जिसे 16 मई को बेसिक शिक्षा परिषद इलाहाबाद भेजा जाएगा(दैनिक जागऱण संवाददाता,गौरीगंज,9.5.11)।

यूपीःदो लाख आय वाले एससी को मिलेगी छात्रवृत्ति

Posted: 09 May 2011 07:00 AM PDT

उच्च व तकनीकी शिक्षा प्राप्त करने वाले अनुसूचित जाति के दो लाख आय वाले व्यक्तियों के पाल्यों को छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति का लाभ मिलेगी। इसके लिए एक पखवारे में आवेदन भेजने का निर्देश दिया गया है।
शासन की ओर से स्कूल से लेकर कालेज, तकनीकी, मैनेजमेंट आदि कालेजों में पढ़ने वाले अनुसूचित जाति के एक लाख तक की आय वाले अभ्यर्थियों को उच्च शिक्षा में छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति का लाभ मिलता था। पिछले कुछ समय में अचानक बढ़ी मंहगाई को ध्यान में रखते हुए शासन ने अनुसूचित जाति लोगों की आय सीमा वृद्धि कर दो लाख रुपये तक की आय वालों के पाल्यों को छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति का का दिलाने के आदेश किये हैं। इसके तहत वित्तीय वर्ष 2010-11 में अनुसूचित जाति के ऐसे विद्यार्थियों से तत्काल आय प्रमाण पत्र के आधार पर आवेदन प्राप्त करने के निर्देश जारी करते हुए समाज कल्याण अधिकारी ने सभी इंटर, डिग्री कालेज, इंजीनियरिंग, मेडीकल, पॉलीटेक्निक, आईटीआई कालेजों के प्रधानाचार्य व निदेशकों को पत्र भेजा है। पंद्रह दिन में छात्रों से आवेदन लेकर डीआईओएस कार्यालय भेजने का निर्देश दिया गया है। वहां से विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति की धनराशि की मांग भेजी जायेगी। यह चेतावनी भी दी गयी है कि अगर कोई लापरवाही बरती गयी तो कालेजों के प्रधानाचार्य व निदेशकों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी(दैनिक जागरण,मथुरा,9.5.11)।

दिल्लीःबच्चों को कैब से ले जाने के बारे में नई गाईडलाईन जारी

Posted: 09 May 2011 06:45 AM PDT

राजधानी में स्कूलों से जुड़ी कैब अब बिना विशेष परमिट के स्कूली बच्चों को नहीं ढो पाएंगी। इसके लिए उन्हें जारी नई रजिस्ट्रेशन की सिरीज के तहत कैब का पंजीकरण कराना होगा। साथ ही उन्हें परिवहन विभाग की नई गाइडलाइन का भी पालन करना होगा। इस बाबत दिल्ली परिवहन ने नोटिस भी जारी कर दिया है। साथ ही सभी अभिभावक, स्कूल प्रबंधक एवं कैब ऑपरेटर्स को भी स्पष्ट कर दिया है।
नए नियमों के मुताबिक स्कूल कैब के लिए अब डीएल 1-के पंजीकरण सीरिज का ही रजिस्ट्रेशन मान्य होगा। इसके अलावा स्कूली बच्चों को लाने ले जाने वाले सभी वाहनों को जब्त किया जाएगा। हालांकि, ये व्यवस्था अभी भी है, लेकिन इसका पालन पूरी तरह से नहीं किया जाता। स्कूल बैग के लिए छत पर कैरियर भी होना चाहिए। साथ ही कैब 40 किलोमीटर/प्रति घंटा की रफ्तार से तेज न चलें, इसके लिए स्पीड गवर्नर (गति नियंत्रक) लगाना अनिवार्य होगा। प्राथमिक उपचार किट और अग्निशमन यंत्र के साथ कैब में बड़े साइज में 'स्कूल कैब' डिस्पले बोर्ड होना चाहिए। कैब के चारों ओर निर्धारित सुनहरी पीली पट्टी भी अनिवार्य होगी। गौरतलब है कि वर्तमान में करीब सात हजार स्कूल कैब पंजीकृत हैं, जबकि एक मोटे अनुमान के मुताबिक दस हजार से अधिक अवैध वाहन स्कूल कैब के रूप में दिल्ली की सड़कों पर दौड़ रहे हैं। इन अवैध कैब में किसी मानदंड का पालन नहीं होता, जिसके चलते वह खतरनाक होती हैं। इन वाहनों में गति नियंत्रक न होने के चलते इनकी गति भी 60 किलोमीटर प्रति घंटा होती है। इसको देखते हुए विभाग ने नई गाइडलाइन जारी की है।इस बाबत दिल्ली परिवहन के आयुक्त आरके वर्मा ने कहा कि जो भी वाहन स्कूल कैब के तहत पंजीकृत होंगे, वही स्कूली बच्चों को लाने-ले जाने का काम कर सकेंगे। इसके अलावा जो भी वाहन दिखाई देंगे, उन्हें जब्त कर लिया जाएगा। इसको लेकर स्कूल प्रबंधकों एवं अभिभावकों को भी नोटिस के जरिये सूचित किया गया है(दैनिक जागरण,दिल्ली,9.5.11)।

छत्तीसगढ़ःफर्जी तरीके से मेडिकल कालेज में प्रवेश, तीन छात्र काबू

Posted: 09 May 2011 06:30 AM PDT

छत्तीसगढ़ की अपराध अनुसंधान शाखा [सीआईडी] ने फर्जी तरीके से मेडिकल कालेज में दाखिला लेने के आरोप में तीन मेडिकल छात्रों को गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तार एक छात्र ने मेडिकल प्रवेश परीक्षा में पूरे राज्य में प्रथम स्थान प्राप्त किया था।
सीआईडी के अधिकारियों ने शनिवार को यहा बताया कि राज्य के मेडिकल कालेजों में फर्जी तरीके से दाखिला लेने के आरोप में सीआईडी ने मेडिकल कालेज के तीन छात्रों सुजल एम मसीह, विभोर सक्सेना और योगेंद्र साहू को गिरफ्तार कर लिया है।
अधिकारियों ने बताया कि तीनों छात्रों पर आरोप है कि इनके बदले में किसी अन्य व्यक्ति ने मेडिकल प्रवेश परीक्षा दी थी। पास होने के बाद तीनों छात्रों ने मेडिकल कालेज में प्रवेश ले लिया था।
उन्होंने बताया कि सुजल एम मसीह और विभोर सक्सेना रायपुर मेडिकल कालेज के छात्र है, जबकि योगेंद्र साहू जगदलपुर मेडिकल कालेज का छात्र है।

अधिकारी ने बताया कि सुजल ने वर्ष 2008 में पीएमटी की परीक्षा दी थी तथा उसने पूरे प्रदेश में प्रथम स्थान प्राप्त किया था। लेकिन पिछले तीन सालों से वह पहले वर्ष की परीक्षा भी पास नहीं कर पाया है। बिलासपुर शहर निवासी सुजल के पिता मनोहर पसीह पादरी हैं। वहीं विभोर ने वर्ष 2009 में तथा योगेंद्र ने वर्ष 2010 में पीएमटी की परीक्षा दी थी। विभोर बिलासपुर शहर का तथा योगेंद्र रायपुर शहर का निवासी है तथा दोनों के पिता यहा बिजली विभाग में कार्यरत है।

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Palash Biswas
Pl Read:
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