Monday, May 16, 2011

Fwd: भाषा,शिक्षा और रोज़गार



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From: भाषा,शिक्षा और रोज़गार <eduployment@gmail.com>
Date: 2011/5/16
Subject: भाषा,शिक्षा और रोज़गार
To: palashbiswaskl@gmail.com


भाषा,शिक्षा और रोज़गार


बिहारःमदरसा बोर्ड का रिजल्ट मई के अंतिम सप्ताह में

Posted: 15 May 2011 11:29 AM PDT

बिहार मदरसा बोर्ड रिजल्ट जारी करने की तैयारी में जुट गया है। बिहार मदरसा बोर्ड के फोकानिया व वस्तानिया का रिजल्ट मई के अंतिम सप्ताह में आ जाएगा। वहीं मौलवी का रिजल्ट जून तक जारी होने की संभावना है। सभी रिजल्ट मदरसा बोर्ड की वेबसाइट पर उपलब्ध करा दिये जाएंगे। मदरसा बोर्ड के सचिव मुस्तफा हुसैन मंसूरी ने बताया कि फोकानिया व वस्तानिया का मूल्यांकन कार्य समाप्त हो चुका है और रिजल्ट तैयार किया जा रहा है। वहीं मौलवी का मूल्यांकन कार्य अंतिम चरण में हैं। मदरसा बोर्ड की परीक्षाएं फरवरी- मार्च में आयोजित की गई थीं। फोकानिया में एक लाख ग्यारह हजार परीक्षार्थियों ने हिस्सा लिया था वहीं वस्तानिया में सत्तर और मौलवी में भी सत्तर हजार परीक्षार्थियों ने भाग लिया था। सभी को अपने रिजल्ट का बेसब्री से इंतजार है। इसमें खास बात यह है कि फोकानिया में इस वर्ष 22 गैर मुस्लिम विद्यार्थियों ने परीक्षा दी है। वहीं 2009 में भी 20 गैर मुस्लिम परीक्षार्थी परीक्षा दे चुके हैं। मदरसा बोर्ड की परीक्षा देने वालों में लड़कियों का प्रतिशत लड़कों से भी अधिक है। प्रत्येक वर्ष 65 प्रतिशत लड़कियां मदरसा बोर्ड की परीक्षा दे रहीं हैं जबकि लड़के सिर्फ 35 प्रतिशत ही हैं(राष्ट्रीय सहारा,पटना,15.5.11)।

उत्तराखंडःसेल्फ फाइनेंस बीएड की पढ़ाई में मानकों की अनदेखी

Posted: 15 May 2011 11:20 AM PDT

सरकारी महाविद्यालयों में सेल्फ फाइनेंस के तहत संचालित बीएड की पढ़ाई में मानकों की अनदेखी करने का आरोप लगा है। यह आरोप किसी और ने नहीं बल्कि इन कालेजों में पढ़ाने वाले शिक्षकों ने ही लगाया। उन्होंने विविद्यालय को पत्र भेजकर कथित अनियमितताओं की जांच कराकर आवश्यक कार्रवाई करने की मांग की है। सेल्फ फाइनेंस स्कीम के तहत गढ़वाल विविद्यालय से सम्बद्ध करीब आठ राजकीय महाविद्यालयों में बीएड पाठ्क्रम के संचालन पर सवालिया निशान लग गया है। यदि इन कालेजों में पढ़ाने वाले शिक्षकों की मानें तो बीएड की पढ़ाई में एनसीटीई द्वारा निर्धारित मानकों की जमकर धज्जियां उड़ाई गई हैं। कालेजों ने निर्धारित मानकों को पूरा करने से पहले ही विविद्यालय से सम्बद्धता हासिल की ली थी। विविद्यालय ने इस शर्त के साथ सम्बद्धता दी थी कि काउंसलिंग से पूर्व संकाय आदि की स्थापना कर लेंगे। साथ ही शिक्षकों का चयन समिति द्वारा किया जाएगा और शिक्षकों को यूजीसी द्वारा निर्धारित वेतनमान का भुगतान एकाउंट पेई चेक के जरिये किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सम्बद्धता देने के बाद विविद्यालय ने मानकों का निरीक्षण करने की जहमत नहीं उठायी। इसके चलते सरकारी कालेजों में जमकर मनमानी हुई है। अधिकांश महाविद्यालयों में छात्रों के अनुपात में शिक्षकों की नियुक्ति तक नहीं हुई। पत्र में कहा गया है कि शिक्षण कार्य दिवस की गणना में भी गोलमालहुआ है। अधिकांश कालेजों ने सत्र 2009-10 में शिक्षण कार्य दिवस की गणना सितम्बर-10 से की है, जबकि कालेजों कई कालेजों में जनवरी 11 तक एडमिशन होते रहे। इससे जाहिर होता है कि शिक्षण कार्य दिवस की गणना में अंतिम प्रवेश तिथि को नजरांदाज किया गया है। उन्होंने सरकारी कालेजों में मानकों की अनदेखी छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। विविद्यालय को भेजे पत्र में डा. वीपी विकर्मा ने सम्बद्धता की शतरे को पूरा न करने वाले महाविद्यालयों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि बीएड पाठय़क्रम के बेहतर संचालन के लिए ऑरिएंटेशन कार्यक्रम शुरू किया जाना चाहिए। इसके साथ ही परीक्षा कार्यक्रम घोषित करते समय अंतिम प्रवेश की तिथि को ध्यान में रखा जाना चाहिए(राष्ट्रीय सहारा,देहरादून,15.5.11)।

राजस्थानःविश्वविद्यालय शिक्षक भर्ती के लिए विशेषज्ञ पैनल

Posted: 15 May 2011 11:15 AM PDT

राजस्थान विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद की शनिवार को हुई बैठक में विश्वविद्यालय में प्रस्तावित शिक्षक भर्तियों के लिए विषय विशेषज्ञों के पैनल को मंजूरी दी गई। इसी ऎजेंडे के साथ परिषद की यह विशेष बैठक आयोजित की गई थी। बैठक में 2 मई को आयोजित पिछली बैठक के मिनिट्स को भी अनुमोदित किया गया।
परिषद ने नए सत्र 2011-12 में स्नातकोत्तर पाठयक्रमों में सेमेस्टर प्रणाली लागू करने की कार्ययोजना पर भी चर्चा की। जानकारी के मुताबिक बीसीए पाठयक्रम में सभी संकायों के छात्रों को प्रवेश देने के मुद्दे पर बैठक में लंबी बहस हुई। अंत में मामला बीसीए की कोर्स डवलपमेंट कमेटी सीडीसी को विचार के लिए भेज दिया गया(राजस्थान पत्रिका,जयपुर,15.5.11)

स्कूलों के लिए पंजाबी-अरबी विषय की पुस्तकें तैयार

Posted: 15 May 2011 11:00 AM PDT

सीबीएसई द्वारा बारहवीं कक्षा के पंजाबी विषय के विद्यार्थियों के लिए नई पुस्तकें जारी कर दी गई हैं। बीते साल 11वीं के विद्यार्थियों के लिए पंजाबी विषय की पुस्तकें तैयार की गई थीं। अब इस विषय के एक साल होने के बाद बारहवीं में भी इस विषय के विद्यार्थियों के लिए पुस्तकें तैयार कर ली गई हैं। इसी प्रकार बोर्ड ने बीते साल 9वीं और 11वीं में अरबी विषय चलाने के लिए की पुस्तकें तैयार की थीं। अब इस साल दसवीं और बारहवीं कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए अरबी विषय की पुस्तकें तैयार कर ली हैं। बोर्ड ने स्कूलों को सकरुलर भेजकर इस संबंध में जानकारी दे दी है। बोर्ड ने सभी स्कूलों को भेजे सकरुलर में जानकारी दी है कि उसने पंजाबी और अरबी विषयों की पुस्तकें तैयार कर ली हैं। स्कूलों को कहा गया है कि जल्द ही यह पुस्तकें बोर्ड के स्टोर्स में उपलब्ध करा दी जाएंगी लेकिन शिक्षकों के लिए इन पुस्तकों की कॉपी को बोर्ड की वेबसाइट पर डाल दिया गया है। शिक्षक चाहें तो इन पुस्तकों को वेबसाइट से डाऊनलोड कर सकते हैं। बोर्ड द्वारा 12वीं कक्षा के लिए पंजाबी विषय के विद्यार्थियों के लिए दो पुस्तकें तैयार की गई हैं। जिसमें से एक कथा जगत और दूसरा कव जत्रा है। इसी प्रकार दसवीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए अरबी की मिनहाजल तालीम अल थानवी है, जबकि बारहवीं कक्षा के लिए इसी नाम से पुस्तक का भाग जारी किया गया है। यह पुस्तकें स्कूलों में शैक्षणिक सत्र 2011-12 के लिए पढ़ाई जानी हैं(राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,15.5.11)।

जेईईःभटिंडा के 30 नकलचियों के नतीजों पर रोक

Posted: 15 May 2011 10:45 AM PDT

आईआईटी, कानपुर द्वारा इस वर्ष 10 अप्रैल को कराई गई संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) में भटिंडा के एक कालेज के एक कमरे में नकल होने की पुष्टि हो जाने के बाद उस कमरे में बैठे सभी 30 परीक्षार्थियों का परीक्षा फल रोक दिया है। इसके साथ ही केंद्र प्रभारी समेत तीन शिक्षकों और केंद्र को काली सूची में डाल दिया गया है। मामले की जांच को तीन सदस्यीय समिति का गठन भी कर दिया गया है। आईआईटी, कानपुर के रजिस्ट्रार संजीव कशालकर ने कहा कि कालेज के एक कमरे में बैठे तीस छात्रों का ही परीक्षाफल रोका गया है इस कालेज के अन्य कमरों में बैठे छात्रों व देश के अन्य केंद्रों पर हुई प्रवेश परीक्षा का परिणाम निर्धारित 25 मई को आ जाएगा। संस्थान द्वारा जारी एक बयान के अनुसार प्रवेश परीक्षा के दौरान भटिंडा के ज्ञानी जैल सिंह इंजीनियरिंग कालेज के एक कमरे में छात्र छात्राओं को नकल कराए जाने की बात सामने आई थी। इसके बाद आईआईटी रुड़की के निदेशक ने एक समिति गठित की थी जिसकी रिपोर्ट उन्होंने आईआईटी कानपुर के निदेशक को सौंप दी है। इस रिपोर्ट में ज्ञानी जैल सिंह इंजीनियरिंग कालेज के एक कमरे में नकल की शिकायत को सही पाया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि कमरे में कुछ छात्र छात्राओं को न केवल नकल कराई गई बल्कि इन्हें सवाल हल करने के लिए अतिरिक्त समय भी दिया गया और यह सब उस कमरे में परीक्षा करवा रहे शिक्षकों की मिलीभगत से हुआ है। आईआईटी, कानपुर ने उस कमरे में डयूटी कर रहे दो शिक्षकों को स्थाई रूप से प्रतिबंधित कर दिया है इसके अलावा कालेज पर भी रोक लगाई गई है। केंद्र प्रभारी को भी भविष्य में आईआईटी के किसी भी काम में शामिल नहीं करने को कहा गया है। इसके साथ ही तीन शिक्षकों पर भी रोक लगाई गई है। मामले की विस्तृत जांच के लिए गठित कमेटी को पांच जून तक अपनी रिपोर्ट देने को कहा है गया। रजिस्ट्रार कशालकर ने कहा कि इस जांच कार्य से आईआईटी जेईई के 25 मई को आने वाले परीक्षाफल पर कोई असर नहीं होगा और वह अपने निर्धारित समय पर ही आएगा। इस वर्ष आईआईटी की संयुक्त प्रवेश परीक्षा करने की जिम्मेदारी आईआईटी, कानपुर को सौंपी गई थी और दस अप्रैल को देश के 1051 केन्द्रों पर एक साथ दो पालियों में परीक्षा हुई थी। इस परीक्षा में देश भर के चार लाख 85 हजार 262 परीक्षाथक्र्ष शामिल हुए थे जिनमें से एक लाख 13 हजार 926 छात्राएं थीं(राष्ट्रीय सहारा,कानपुर,15.5.11)।

राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालयःपढाई के साथ कमाई भी

Posted: 15 May 2011 10:30 AM PDT

थ्री इडियट्स के फुंसुंक वांगडू का स्कूल तो सबको रास आया, अब राजस्थान केन्द्रीय विश्वविद्यालय की बारी है। यहां भी स्थापना के साथ ही अनूठे प्रयोग किए जा रहे हैं ताकि विद्यार्थियों के लिए कम खर्च में बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराई जा सके। विश्वविद्यालय में वर्क ऑन डिमाण्ड स्कीम शुरू की गई है, जिसके तहत प्रशासनिक कामकाज में भी विद्यार्थी विश्वविद्यालय का हाथ बंटा रहे हैं। यहां वर्तमान में दो सौ विद्यार्थी हैं और इस योजना के तहत 50 विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय ने पढाई के साथ-साथ काम उपलब्ध करवा रखा है, जिससे विद्यार्थी 2 से 4 हजार रूपए प्रतिमाह तक कमा रहे हैं।
सिर्फ दो घंटे काम
वर्क ऑन डिमाण्ड में विद्यार्थी से एक दिन में सिर्फ दो घंटे काम लिया जाता है। यह काम भी विश्वविद्यालय समय यानी 5 बजे के बाद शुरू होता है।
एक विद्यार्थी महीने में अधिकतम 40 घंटे काम कर सकता है। इसके एवज में विद्यार्थियों को न्यूनतम 30 रूपए प्रतिघंटा मानदेय दिया जाता है। कामकाज की देखरेख के लिए विश्वविद्यालय ने हर कार्यालय में सुपरवाइजर भी नियुक्त कर रखे हैं।

केन्द्रीय विश्वविद्यालय प्रत्येक प्रोग्राम के श्रेष्ठ तीन विद्यार्थियों को एक हजार रूपए महीना छात्रवृत्ति देता है, कुछ को मानव संसाधन विभाग से छात्रवृत्ति मिल जाती है। इसके बाद भी कुछ निर्धन विद्यार्थी रह जाते हैं, जिनके लिए वर्क ऑन डिमाण्ड कार्यक्रम शुरू किया गया है, इससे हमारे छोटे-मोटे काम तो हो ही जाते हैं और विद्यार्थी की मदद भी हो जाती है।


डॉ.डी.सी.शर्मा, समन्वयक स्टूडेंट वेलफेयर, राजस्थान केन्द्रीय विश्वविद्यालय
गरीब विद्यार्थियों के लिए 
विश्वविद्यालय ने यह पहल गरीब विद्यार्थियों की मदद करने के लिए लागू की है। उन्हीं विद्यार्थियों को काम दिया जा रहा है, जो निर्धन हैं और जिन्हें पढाई के लिए धन की जरूरत है। इसके अलावा जिन्हें किसी प्रकार की छात्रवृत्ति भी नहीं मिलती है। ऎसे विद्यार्थियों के लिए विश्वविद्यालय ने पहले विभिन्न कार्यालयों में करवाए जा सकने वाले कामकाज की सूची तैयार की। फिर विद्यार्थियों से इस बारे में सलाह-सुझाव लेकर आगे कदम बढाया। विद्यार्थियों द्वारा किए जाने वाले काम में कोई गोपनीय कार्य शामिल नहीं है(राजस्थान पत्रिका,कोटा,15.5.11)।

कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालयःपार्ट-3 का फार्म नहीं भरने दे रहा है परीक्षा विभाग

Posted: 15 May 2011 10:15 AM PDT

आजसू ने सिदो कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय के कुलपति डा़ एम. बशीर अहमद खान से बेलवासनी मुर्मू के लिए नि:शुल्क शिक्षा एवं मुआवजा की मांग की है। आजसू के अनुसार परीक्षा विभाग की गलती के कारण इस गरीब छात्रा का भविष्य अंधकारमय हो गया है।

बेलवासनी केकेएम कॉलेज पाकुड़ की छात्रा है। बेलवासनी 31 मार्च को जब अपने प्रवेश पत्र के लिए परीक्षा विभाग में आवेदन जमा करने गई, तो उसे यह कहकर वापस कर दिया गया कि उसका सत्र समाप्त हो चुका है। इस संदर्भ में आजसू ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि बेलवासनी ने स्नातक प्रथम खंड 2004 की परीक्षा 2005 में पास की थी। उसके बाद उसने स्नातक द्वितीय खंड 2009 की परीक्षा 2010 में पास की।

लेकिन जब वह तृतीय खंड 2010 की परीक्षा के लिए 31 मार्च 2011 को अपना परीक्षा फॉर्म भरने के लिए परीक्षा विभाग में गई, तो उसे यह कह कर वापस लौटा दिया गया कि उसका सत्र समाप्त हो गया है। वह इस परीक्षा में शामिल नहीं हो सकती है।

आजसू का कहना है कि अगर इस छात्रा का सत्र पहले ही समाप्त हो चुका था, तो इसे द्वितीय खंड की परीक्षा में क्यों शामिल किया गया। आजसू के महासचिव अनिल कुमार मरांडी ने कुलपति से इस मामले कि जांच कराते हुए संबंधित पदाधिकारी/कर्मचारी पर कार्रवाई करने की मांग की है। साथ ही बेलवासनी मुर्मू के लिए नि:शुल्क शिक्षा एवं मुआवजा दिलाने का आग्रह किया है।

(हिंदुस्तान,दुमका,14.5.11)।

राजस्थानः3 से मिलेंगे कॉलेज प्रवेश के फार्म

Posted: 15 May 2011 10:00 AM PDT

कॉलेज शिक्षा निदेशालय ने नए शिक्षण सत्र में राजकीय तथा अनुदानित कॉलेजों के लिए प्रवेश नीति तथा शैक्षणिक सत्र की सारिणी जारी कर दी है। प्रवेश नीति के अनुसार स्नातक प्रथम वर्ष की कक्षाओं में प्रवेश के लिए पात्रता कला व वाणिज्य संकाय (पास कोर्स) में 45 प्रतिशत व ऑनर्स में 48 प्रतिशत, विज्ञान संकाय में पास कोर्स में 48 व ऑनर्स में 50 प्रतिशत, एम.ए. व एम.कॉम. पूर्वार्द्ध के लिए परीक्षा में न्यूनतम 48 प्रतिशत अथवा आवेदित विषय में 55 प्रतिशत तथा एम.एससी में 55 प्रतिशत प्राप्तांक की पात्रता रखी गई है।

राज्य के बाहर के किसी विश्वविद्यालय से अर्हकारी परीक्षा उत्तीर्ण अभ्यर्थी के लिए सभी संकायों में प्रवेश न्यूनतम 60 प्रतिशत प्राप्तांक की अनिवार्यता रखी गई है। विधि स्नातक प्रथम वर्ष के लिए 45 प्रतिशत, विधि स्नातकोतर (एलएलएम) में न्यूनतम 55 प्रतिशत अंकों की पात्रता रखी गई है।

इन्हें नहीं मिलेगा विधि में प्रवेश बार काउंसिल ऑफ इंडिया के निर्देशानुसार दूरस्थ (पत्राचार) माध्यम से बी.ए. अथवा एम.ए. की डिग्र्री प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों को एलएलबी (पांच या तीन वर्ष) के पाठ्यक्रम में प्रवेश देय नहीं होगा। 

एक क्लास में 80 विद्यार्थी 
प्रथम वर्ष कला व वाणिज्य संकाय की प्रत्येक कक्षा-विषय के एक वर्ग में 80 विद्यार्थियों एवं विज्ञान संकाय के एक वर्ग में कुल 70 विद्यार्थियों को प्रवेश दिया जा सकता है। प्रविष्ट विद्यार्थियों की संख्या 20 से कम तथा महिला महाविद्यालय के लिए 10 रहने की स्थिति में उस कक्षा विषय को वर्तमान शिक्षण सत्र में जारी नहीं रखा जाएगा। जनजातीय जिलों में न्यूनतम संख्या में 25 प्रतिशत की छूट रहेगी। 
फैक्ट फाइल आवेदन पत्र का विक्रय - 3 जून से जमा कराने की अंतिम तिथि- 20 जून अंतरिम प्रवेश सूची का प्रकाशन- 22 जून शुल्क जमा कराने की अंतिम तिथि 28 जून द्वितीय सूची का प्रकाशन - 29 जून शैक्षणिक सत्र प्रारंभ -1 जुलाई संकाय या विषय परिवर्तन की अंतिम - 15 जुलाई शिक्षण दिवस -181(राजस्थान पत्रिका,अजमेर,15.5.11)

उत्तराखंडःस्थानीय बोलियों की अनिवार्यता पर उत्तरांचल संयुक्त मंच का धरना

Posted: 15 May 2011 09:45 AM PDT

मूल निवास, जाति प्रमाण पत्र बनाने में हो रही दिक्कतों तथा भाषा व बोलियों को रोजगार से जोडऩे के खिलाफ उत्तरांचल संयुक्त सर्व समाज संगठन ने आज गांधी पार्क में धरना देकर नारेबाजी की। इस दौरान आठ सूत्रीय मांगपत्र भी मुख्यमंत्री को प्रेषित किया गया। उत्तरांचल संयुक्त सर्व समाज संगठन के कार्यकर्ताओं ने गांधी पार्क में धरना दिया। धरने पर बैठे कार्यकर्ताओं ने कहा कि राज्य में रहने वाले 60 प्रतिशत लोग हिन्दी भाषी हैं। उन्हें गढ़वाली और कुमाउंनी तथा जौनसारी भाषा का कोई ज्ञान नहीं है। यहां तक कि गढ़वाल में रहने वाले लोगों को गढ़वाली भाषा नहीं आती। ऐसी स्थिति में समूह 'गÓ भर्ती में 60 प्रतिशत लोगों की अनदेखी करना ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि यह पहला ऐसा राज्य है जहां सरकारी नौकरी में भाषा थोपी जा रही है(दैनिक ट्रिब्यून,देहरादून,15.5.11)।

रांची वीमेंस कॉलेज में मूल्यांकन नहीं होगा

Posted: 15 May 2011 09:30 AM PDT

रांची विवि परीक्षा बोर्ड ने परीक्षकों की अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार को देखते हुए 14 मई को रांची वीमेंस कॉलेज में मूल्यांकन केंद्र बंद करने का फ़ैसला लिया है. परीक्षा बोर्ड की बैठक में निर्णय लिया गया कि बची हुई सभी उत्तरपुस्तिकाएं मूल्यांकन के लिए अब बाहर के विवि में भेजी जायेंगी.
कुलपति प्रो एए खान की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में स्नातक व स्नातकोत्तर के विद्यार्थियों के लिए परीक्षा शुल्क में बढ़ोतरी अगले सत्र से करने पर अपनी सैद्धांतिक सहमति प्रदान कर दी गयी. स्नातक के विद्यार्थियों का परीक्षा शुल्क अब 180 रुपये की जगह 300 रुपये व स्नातकोत्तर के विद्यार्थियों का परीक्षा शुल्क 215 रुपये से बढ़ा कर 400 रुपये करने की स्वीकृति दी गयी.

बोर्ड ने उत्तरपुस्तिका मूल्यांकन पारिश्रमिक दर भी तत्काल प्रभाव से बढ़ाने पर अपनी सहमति प्रदान कर दी है. अब स्नातक में प्रति उत्तरपुस्तिका मूल्यांकन पारिश्रमिक दर सात रुपये से बढ़ा कर 10 रुपये व स्नातकोत्तर की उत्तरपुस्तिका पारिश्रमिक दर 10 रुपये से बढ़ा कर 15 रुपये कर दी गयी.
यह भी निर्णय लिया गया कि अधिसूचना जारी होने से पूर्व उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन करनेवाले परीक्षकों को प्रति उत्तरपुस्तिका सात रुपये के ही दर से भुगतान किया जाये. अधिसूचना के बाद की तिथि से 10 व 15 रुपये दिये जायेंगे(प्रभात खबर,रांची,15.5.11).

बिहारःबच्चों के दाखिले को अब जन्म प्रमाणपत्र जरूरी नहीं

Posted: 15 May 2011 09:15 AM PDT

बच्चों को विद्यालयों में नामांकन कराने के लिए अब अभिभावकों को बर्थ सर्टिफिकेट बनवाने के झमेले में नहीं पड़ना होगा। राज्य सरकार ने छात्रों की मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा नियमावली-2010 के तहत अभिभावकों को इस मामले में काफी राहत दी है। विद्यालयों में नामांकन कराने वाले वैसे बच्चे, जिनके जन्म प्रमाणपत्र उपलब्ध नहीं हैं, वैसी स्थिति में उनके अभिभावकों को बच्चों के उम्र के प्रमाण के लिए तीन दस्तावेज में से एक दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे। इन दस्तावेजों में अस्पताल या ऑक्जिलियरी नर्स या मिडवाइफ पंजी अभिलेख, आंगनबाड़ी अभिलेख अथवा अभिभावक या माता-पिता द्वारा बच्चों की उम्र के लिए दिया गया घोषणा पत्र शामिल है। इन्हीं दस्तावेज को उम्र प्रमाण के लिए प्रयुक्त माना जायेगा। राज्य के स्कूलों में नामांकन की विस्तारित अवधि विद्यालय के शैक्षणिक सत्र प्रारंभ होने के छह माह तक होगी। यदि विस्तारित अवधि के पश्चात कोई बच्चा विद्यालय में नामांकित होता है, तो वह विशेष प्रशिक्षण के द्वारा अपने पाठय़क्रम को पूर्ण करने का पात्र होगा। विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम संबंधित विद्यालय के प्रधानाध्यापक द्वारा निर्धारित किया जायेगा। इतना ही नहीं स्कूलों में अभिभावकों का ही दबदबा रहेगा। राज्य सरकार या स्थानीय प्राधिकार द्वारा स्थापित, नियंत्रित एवं धारित प्रत्येक विद्यालय के लिए एक प्रबंध समिति का गठन किया जायेगा, जिसका नाम प्रारंभिक विद्यालय शिक्षा समिति होगा। इस समिति के 75 प्रतिशत सदस्य बच्चों के माता-पिता या अभिभावकों द्वारा चुने जायेंगे। विद्यालय शिक्षा समिति के सदस्य/सचिव/अध्यक्ष का चुनाव राज्य निर्वाचन प्राधिकार द्वारा कराया जायेगा। विद्यालय शिक्षा समिति में वैसे अभिभावक इसके सदस्य नहीं होंगे, जिनके बच्चे बिना स्वीकार्य कारणों या पूर्वानुमति के विद्यालय के 40 प्रतिशत कार्य दिवसों में अनुपस्थित रहे हों। वैसे अभिभावक भी इस समिति के सदस्य बनने के हकदार नहीं होेंगे जो पागल, दिवालिया या सक्षम न्यायालय द्वारा आपराधिक मामलों में दोषी करार दिये गये हैं। बच्चों को गोद लिये जाने की स्थिति में या अन्य मामले में अगर सक्षम न्यायालय द्वारा किसी को वैधानिक अभिभावक का दर्जा दिया गया है तो ऐसे अभिभावक निर्वाचक मंडल के सदस्य के रूप में सम्मिलित किये जा सकते हैं। माता-पिता के अतिरिक्त अन्य किसी को सक्षम न्यायालय के आदेश के बिना किसी भी परिस्थिति में अभिभावक के रूप में स्वीकार नहीं किया जायेगा। अगर किसी माता-पिता के दो या दो से अधिक बच्चे हैं और वे दो भिन्न विद्यालयों में पढ़ रहे हों तो वैसी स्थिति में माता-पिता का नाम केवल उस विद्यालय की शिक्षा समिति की निर्वाचक सूची में सम्मिलित किया जायेगा, जिसमें वे निर्वाचक के रूप में निबंधित होने की इच्छा जाहिर करेंगे(ब्रजेश कुमार,राष्ट्रीय सहारा,पटना,15.5.11)।

क्यों खत्म हो गई शिक्षकों की प्रतिबद्धता?

Posted: 15 May 2011 08:30 AM PDT

पिछले साल अपने देश में शिक्षा का अधिकार अधिनियम पारित हुआ। अभी झारखंड की कैबिनेट ने इसको लागू करने की बात की और कहा कि निजी स्कूलों में बीपीएल बच्चों के लिए निश्चित सीटें रखनी पड़ेंगी। तमाम बयानबाजी होती है, नियम-कानून बनते हैं, कमेटियां बनती हैं, रिपोर्ट्स आती हैं लेकिन सब जगह नकलीपन है। और यही वजह है कि तमाम बयानों व बजट आवंटन के बाद भी शिक्षा का स्तर गिरता ही जा रहा है। सरकारी स्कूलों के तो हाल और खराब हैं। मैंने काफी पहले अपने किस्से को ही लिखा था और मुझे लग रहा है कि मैं फिर इसे शेयर करूं...
मेरी प्रायमरी शिक्षा उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव में हुई। तब करीब 1500 की आबादी वाले हमारे गांव के प्रायमरी स्कूल में हेडमास्टर समेत तीन मास्टर होते थे और बच्चे थे करीब 200। आसपास के चार गांव के बच्चे भी यहीं पढ़ने आते थे। हेडमास्टर सिर्फ कक्षा पांच के बच्चों को पढ़ाते थे और बाकी दोनों मास्टर साहब दो-दो कक्षाओं को पढ़ाते थे। इन मास्टर साहबों की सामाजिक स्थिति भी बताते चलते हैं – हेडमास्टर ब्राह्मण थे, एक मास्टर साहब कायस्थ और एक मास्टर साहब पिछड़े वर्ग से। गांव में 50 फीसदी से ज्यादा पिछड़ा वर्ग, करीब 15 फीसदी मुसलिम, 10 फीसदी दलित और बाकी ब्राह्मण, ठाकुर व अन्य अगड़ी जातियां।
आज भी मैं याद करता हूं कि बच्चों की पढ़ाई को लेकर उन मास्टर साहब लोगों का समर्पण। हेडमास्टर (यानी पंडितजी) सुबह-सुबह पूरे गांव का चक्कर लगाकर बच्चों को स्कूल की तरफ ठेलते थे। तीनों मास्टर साहब नजर रखते थे कि गांव में किसका बच्चा पांच साल का हो गया है। हर नया सेशन शुरू होने पर उनकी कोशिश होती थी कि पांच साल पूरा करने वाले बच्चों का नाम स्कूल में लिख जाए। लोगों को अपने बच्चों की जन्मतिथि तो याद नहीं होती थी, लिहाजा पंडित जी अनुमान से उनकी जन्मतिथि दर्ज कर लेते थे। अनुमान लगाने का तरीका भी बहुत रोचक था- किसी ने कहा कि पंडित जी पिछली बार जब बाढ़ आई थी तब हमारा लड़का या लड़की अपनी अम्मा के गोद में थी, पिछली बार जब आग लगी थी तब यह पेट में था, जब मझिलऊ की शादी हुई थी तब यह अपने पैरों पर चलने लगा था आदि-आदि। आज मैं सोचता हूं कि पूरी दो पीढ़ियों के उन लोगों की जन्मतिथि तो पंडितजी की तय की हुई है जो स्कूल गए। आज वही उनकी आधिकारिक जन्मतिथि है। ऐसा कमिटमेंट क्या आज सरकारी स्कूलों के शिक्षकों में है? शिक्षा व्यवस्था में सार्थक बदलाव के लिए हमें पहले जवाब तलाशना होगा कि क्यों खत्म हो गया यह कमिटमेंट?
मैं अपना ही किस्सा आगे बढ़ाता हूं, शायद हमें जवाब तलाशने में मदद मिले। वे 70 के दशक के अंतिम वर्ष थे। इमरजेंसी खत्म हो चुकी थी और जनता सरकार थी। इमरजेंसी के दौरान का जो मुझे याद है, उसके मुताबिक नसबंदी और दलित (हरिजन) दो ही बातें सुनाई देती थीं। हमारे मास्टर साहबों को भी केस (नसबंदी) लक्ष्य मिले हुए थे। ऊपर से उन्हें डिप्टी साहब (ब्लाक शिक्षा अधिकारी) का लक्ष्य भी पूरा कराना था। वे लोग बात किया करते थे कि केस नहीं पूरे हुए तो नौकरी पर बन आएगी। वे बेचारे इसी में दुबले होते जा रहे थे कि इमरजेंसी हट गई, जनता सरकार आ गई। लोग अपने को इंपावर्ड महसूस करने लगे।

तभी मेरे स्कूल में एक वाकया हुआ। कक्षा पांच के बच्चों में से कुछ कई दिनों से सुलेख लिखकर नहीं ला रहे थे। पंडितजी को गुस्सा आ गया। पंडितजी की यूएसपी ही उनका कड़क मिजाज था सो उन्होंने उन दोनों बच्चों की जमकर पिटाई की। दूसरे दिन सुबह उनमें से एक के पिता पंडितजी के पास आए और कहा कि बच्चे को इतना नहीं मारना चाहिए था। पंडितजी ने चुपचाप सुन लिया। बाद में कक्षा पांच के सभी बच्चों के पिता से जाकर पूछा कि क्या वे चाहते हैं कि उनके बच्चे की पिटाई न की जाए। जिन लोगों ने हां कहा, उनके बच्चे अलग से पढ़ाए जाने लगे और जिन्होंने कहा कि पंडितजी आपका बच्चा है, आपको पढ़ाना है, जैसे चाहो वैसे पढ़ाओ, उनके बच्चों को अलग से पढ़ाया जाने लगा।
बाद में जब हम बड़े स्कूल गए तब पता चला कि यहां जो सेक्शन (वर्ग) होते हैं, वे तो पंडितजी ने गांव के स्कूल में ही शुरू कर दिए थे। फिर धीरे-धीरे न पंडितजी कड़क रहे और न दूसरे मास्टर साहब। पंडितजी की कपड़े की दुकान थी जिसे वे शाम को ही खोलते थे, अब दिन में भी खुलने लगी। मास्टर साहबों को भी छूट मिल गई। एक मास्टर साहब ने पढ़ाने के साथ डाक्टरी भी करने लगे और मास्टर साहब की जगह डागदर साहब के रूप में ख्याति प्राप्त की। दूसरे ने अपनी खेती खुद करनी (पहले बटाई पर देनी पड़ती थी क्योंकि पंडितजी स्कूल से हिलने नहीं देते थे अब पंडितजी ने भी अपनी खेती खुद शुरू कर दी थी) शुरू कर दी और अगले 10 साल में गांव के बड़े काश्तकार बनकर उभरे। धीरे-धीरे स्कूल नाममात्र का रह गया। बाद में तो स्कूल में पास कराई के भी पैसे लगने लगे।
पिछले दिनों पंडितजी का देहावसान हो गया। एक साल पहले मैं जब गांव गया तो देखा, हर घर के बाहर मोटरसाइकिल खड़ी थी, 25-30 ट्रैक्टर थे, पाच-छह मारुति थीं, अधिकतर मकान पक्के हो गए थे, सभी बच्चे चप्पल पहने हुए दिखाई दिए। स्कूल भी बदल गया था, मास्टर साहब अब मास्टरों में तब्दील हो गए थे, दो कमरे और बन गए थे जिसमें से एक में हेडमास्टर साहब रहते हैं और दूसरे में उनकी ओपीडी चलती है। 25-30 साल पहले रोपे गए आम-अमरूद के पौधे अब बड़ी सी बाग बन गए थे। हमने पूछा कि इसमें खूब आम लगते होंगे, लोगों ने बताया लेकिन इससे मिलने वाला पैसा अब स्कूल में नहीं लगता बल्कि मास्टरों, पंचायत और ऊपर के अधिकारियों में बंट जाता है। गांव ही नहीं शहरों में भी यही हो रहा है।(राजेंद्र तिवारी,कॉरपोरेट संपादक,प्रभात खबर,11? मई,2011)

एक्सएलआरआई के सिलेबस में पर्यावरण संरक्षण

Posted: 15 May 2011 08:10 AM PDT

निजी क्षेत्र में देश की सबसे बड़ी प्रबंधकीय संस्थान एक्सएलआरआइ के कोर्स में बदलाव किया जा रहा है. कोर्स से पर्यावरण संरक्षण को खास तौर पर जोड़ा जा रहा है. एक्सएलआरआइ में होने वाले पोस्ट ग्रेजुएशन इन मैनेजमेंट, पर्सनल मैनेजमेंट और इंडस्ट्रियल रिलेशन के कोर्स में पर्यावरण संरक्षण को खास तौर पर जोड़ा जा रहा है.

इस सत्र से इसे कोर्स में जोड़ा जायेगा. संस्थान के प्रोफ़ेसर टाटा एल रघु राम और यूएस के फ़ुलब्राइट स्कॉलर पाने वाले एफ फॉरेश को इस विशेष कोर्स को पढ़ाने की जिम्मेदारी सौंपी गयी है. पिछले कई वर्षो से इस योजना तैयार की जा रही थी, लेकिन इसे अब जाकर अमली जामा पहनाया गया है. एक्सलर्स को पर्यावरण और सामाजिक सामंजस्यता से संबंधित बातों को समझाने के लिए इस तरह के कोर्स की शुरुआत की जा रही है, ताकि भविष्य के बिजनेस प्रोफ़ेशनल इस मुद्दे पर ज्यादा संवेदनशील हो सकें. पर्यावरण संरक्षण के अलावा सामाजिक मूल्यों का ज्ञान देने के लिए पहल की गयी है. इस कोर्स का नाम सस्टेनेबल डेवलपमेंट टू कारपोरेट स्ट्रेटजी गया है
पूरी दुनिया में पर्यावरण संरक्षण सबसे ज्यादा चर्चित मुद्दा है. पूरी दुनिया में इस तरह की पहल की जा रही है. इसी दिशा में एक्सएलआरआइ द्वारा भी यह कदम उठाया जा रहा है. एक्सलर्स के लिए नये कोर्स डिजाइन किये जा रहे हैं, जिससे उन्हें पर्यावरण के साथ ही सामाजिक मूल्यों की भी जानकारी दी जा सके. संस्थान के दो प्रोफ़ेसरों को खास तौर पर इसकी जिम्मेदारी दी गयी है प्रो मधुकर शुक्ला, एक्सएलआरआइ.
(संदीप सावर्ण,प्रभात खबर,जमशेदपुर,15.5.11)

डीयूःअब तक ५० कॉलेजों ने ही भेजा दाखिले का अतिरिक्त 'क्राइटेरिया'

Posted: 15 May 2011 07:50 AM PDT

दिल्ली विश्वविद्यालय में स्नातक स्तर पर दाखिले के दौरान लागू किए जाने वाले अतिरिक्त क्राइटेरिया इस बार पहले ही सार्वजनिक किया जा रहा है। कॉलेजों को इसमें मनमानी की छूट नहीं मिलेगी कि वे अचानक इसमें संशोधन या फेरबदल कर दे। प्रशासन के पास शुक्रवार तक ५० कॉलेजों ने अपनी क्राइटेरिया भेज दी हैं। करीब १० कॉलेजों से क्राइटेरिया नहीं भेजी गई है।

विश्वविद्यालय प्रशासन ने दाखिले के दौरान मॉनिटरिंग करने और मनमानी रोकने के लिए सभी कॉलेजों से अतिरिक्त क्राइटेरिया मांगा था। डीन ऑफ कॉलेजज सुधीश पचौरी ने बताया कि विवि की रिकार्ड के रूप में यह क्राइटेरिया रखा जाए इसलिए कॉलेजों को यह निर्देश दिया गया था। दस कॉलेजों से यह क्राइटेरिया नहीं आया है। उम्मीद है कि अगले एक सप्ताह में सभी कॉलेजों से यह क्राइटेरिया आ जाए।


दाखिले से पहले क्राइटेरिया की जानकारी सभी को होने से कॉलेजों में मनमानी को रोका जाएगा। यह अक्सर देखा गया था कि कई कॉलेज ऐन मौके पर इसमें बदलाव कर छात्रों को परेशान करते रहे हैं। इस बार इस पर रोक लगाई जाएगी। कुछ कॉलेजों का यह कहना कि प्रस्तावित सेमेस्टर सिस्टम में छह कोर्सेज के सिलेबस तैयार नहीं हुए हैं इसलिए क्राइटेरिया नहीं भेजा गया है उचित नहीं है। अधिकारियों के मुताबिक कॉलेजों में १२वीं के आधार पर दाखिले होते हैं, कॉलेज के विषय के आधार पर नहीं। कॉलेजों के सिलेबस में भी आधारभूत विषय में फेरबदल नहीं होता। इसलिए यह तर्क उचित नहीं है(नई दुनिया,दिल्ली,15.5.11)।

नेतरहाट की कॉपियों में गड़बड़ी

Posted: 15 May 2011 07:30 AM PDT

मैट्रिक परीक्षा 2011 में शामिल नेतरहाट आवासीय विद्यालय के छात्रों की उत्तर पुस्तिकाओं में गड़बड़ी की गयी है. प्रश्नों के उत्तर मिटा कर फिर से लिखे गये हैं. पुराने जवाब को हटाने के लिए ह्वाइटनर का प्रयोग किया गया है. खुलासे के बाद झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) ने इस विद्यालय के सभी छात्रों की कॉपियां कब्जे में ले लिया है.- जांच कमेटी में तीन सदस्य : गड़बड़ी का खुलासा होने के बाद जैक ने मैट्रिक की परीक्षा में शामिल नेतरहाट के सभी छात्रों की कॉपियां सील कर दिया है. जांच के दौरान अन्य विषयों की उत्तर पुस्तिकाओं में भी इसी तरह की गड़बड़ी पायी गयी है. जैक ने मामले से शिक्षा विभाग को भी अवगत करा दिया है. मामले की जांच के लिए जैक अध्यक्ष ने तीन सदस्यीय कमेटी बनाने का निर्देश दिया है. इसमें शिक्षा विभाग के उपनिदेशक स्तर के एक पदाधिकारी, एक प्राचार्य और शिक्षाविद को रखा जायेगा. जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जायेगी.
कैसे पकड़ में आया मामला :
राजधानी स्थित उर्सुलाइन कान्वेंट स्कूल में संस्कृत की उत्तर पुस्तिका के मूल्यांकन के दौरान मामला पकड़ में आया. विद्यालय के सभी 106 छात्रों की उत्तर पुस्तिका में ह्वाइटनर लगा कर प्रश्नों के उत्तर मिटा दिये गये थे. इसकी जगह पर नये उत्तर लिखे गये थे. केंद्र निदेशक डॉ सिस्टर मेरी ग्रेस ने इसकी शिकायत जैक अध्यक्ष से की.
फेल हो सकते हैं सभी छात्र

गड़बड़ी सही पायी गयी, तो 2011 में मैट्रिक परीक्षा में शामिल विद्यालय के सभी छात्र फेल हो सकते हैं.पिछले वर्ष की उत्तर पुस्तिका की भी जांच होगीजैक अध्यक्ष ने नेतरहाट विद्यालय की पिछले वर्ष की उत्तर पुस्तिकाओं की जांच का निर्देश भी दिया है. बताया जाता है कि पिछले वर्ष भी इस तरह की गड़बड़ी की गयी थी.

स्टेट टॉपर भी संदेह के घेरे में 
विद्यालय के छात्र पिछले कई वर्षो से मैट्रिक की परीक्षा में स्टेट टॉपर रहते आ रहे हैं. टॉप टेन की सूची में विद्यालय के कई छात्रों को स्थान मिलता है. उत्तर पुस्तिका में गड़बड़ी के बाद के स्टेट टॉपर भी संदेह के घेरे में आ गये हैं.
नामांकन में पकड़ी गयी थी गड़बड़ी 
विद्यालय 2010 में नामांकन के लिए हुई परीक्षा में भी गड़बड़ी का मामला उजागर हुआ था. जांच के बाद चयनित छात्रों में से आधे को बाहर कर दिया गया था. कोट शिकायत केंद्र निदेशक ने की है. जांच के लिए कॉपियां जब्त कर ली गयी हैं. जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जायेगी.- लक्ष्मी सिंह, अध्यक्ष, जैक
(सुनील कुमार झा,प्रभात खबर,रांची,15.5.11)

हरियाणाःसोलह मई से परीक्षाएं, प्राध्यापकों ने किया बहिष्कार, हड़ताल शुरू

Posted: 15 May 2011 07:10 AM PDT

लगभग डेढ़ साल के बाद एक बार फिर से हरियाणा के राजकीय बहुतकनीकी संस्थानों में तनाव का माहौल पैदा हो गया है। एआईसीटीई के बराबर पे-स्केल किये जाने की मांग पर अड़े विभागाध्यक्षों, वरिष्ठï प्राध्यापकों तथा प्राध्यापकों ने अपनी हड़ताल को उग्र तेवर देते हुये सोलह मई से शुरू होने वाली परीक्षाओं का बहिष्कार करने का ऐलान कर दिया है। वहीं, दूसरी ओर तकनीकी शिक्षा निदेशालय सख्ती के मूड़ में नज़र आ रहा है। इस संदर्भ में महानिदेशक की ओर से सभी पुलिस अधीक्षकों को पत्र जारी किये गये हैं और प्राइवेट कॉलेजों तथा विश्वविद्यालयों से स्टॉफ हॉयर किया गया है। तकनीकी शिक्षा बोर्ड की ओर से भी फ्लाइंग स्क्वॉयड के लिये बाहर के कॉलेजों से प्राध्यापकों का चयन किया जा चुका है। विभाग की ओर से दावा किया गया है कि इस हड़ताल का परीक्षाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा और परीक्षाएं समय पर होंगी।
दरअसल, आल इंडिया काउंसिल फोर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) द्वारा निर्धारित पे-स्केल देशभर के तरह राज्यों में लागू किये जा चुके हैं।
हरियाणा के कॉलेजों में भी ये स्केल लागू किये जाने की मांग को लेकर लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व भी हरियाणा के राजकीय बहुतकनीकी संस्थानों के विभागाध्यक्षों, वरिष्ठï प्राध्यापकों तथा प्राध्यापकों ने हड़ताल की थी। उस समय 23 दिन तक चली इस हड़ताल की वजह से न केवल विद्याॢथयों की पढ़ाई पर असर पड़ा था बल्कि परीक्षा परिणाम भी प्रभावित हुये थे।

हड़ताल के दौरान ही विधानसभा चुनावों का ऐलान होने तथा आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू होने की वजह से कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा के आश्वासन पर प्राध्यापकों ने अपनी हड़ताल वापस ले ली थी। सोलह मई से डिप्लोमा की पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों की दूसरे, चौथे और छठे सेमेस्टर की परीक्षाएं शुरू हो रही हैं। इनके अलावा विभिन्न सेमेस्टरों के वे विद्यार्थी भी परीक्षाएं देंगे, जो कुछ विषयों में फेल हैं। ऐसे मौके पर प्रदेशभर के 11 राजकीय बहुतकनीकी संस्थानों में स्टॉफ द्वारा किया गया परीक्षाओं का बहिष्कार इन विद्याॢथयों के भविष्य के साथ बड़ा खिलवाड़ साबित हो सकता है।
डीजी ने बुलाई बैठक, सख्ती से निपटेंगे : बहुतकनीकी संस्थान से जुड़े सूत्रों की अगर मानें तो विभाग के महानिदेशक डॉ. अवतार सिंह ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। इस संदर्भ में उन्होंने बोर्ड एवं विभाग के अधिकारियों की बैठक भी ली और उन्हें दिशा-निर्देश जारी किये। बताते हैं कि प्रदेशभर के पुलिस अधीक्षकों को चिट्ठी लिखी गई है और उनसे परीक्षाओं के दौरान संस्थानों में कानून व्यवस्था बनाये रखने की अपील की गई है।
प्राइवेट पोलिटेक्निक कॉलेजों के स्टॉफ को भी एक-दूसरे की जगह तैनात किया गया है। वहीं सूत्रों का कहना है कि हरियाणा सरकार बीएंडआर तथा सिंचाई विभाग की तर्ज पर बहुतकनीकी संस्थानों में पे-स्केल देने पर विचार कर रही है और इस पर तीस मई तक फैसला होने के आसार हैं।
ऐसे में इस हड़ताल को औचित्यहीन बताया जा रहा है। सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि मुख्यालय की ओर से सरकार को जो रिपोर्ट भेजी गई है, उसमें साफ कहा गया है कि हड़ताल के बहाने कुछ शरारती तत्व अपनी राजनीति करना चाहते हैं। बोर्ड ने साफ कहा है कि परीक्षाएं समय पर होंगी और इनमें बाधा पहुंचाने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा(दैनिक ट्रिब्यून,चंडीगढ़,15.5.11)।

पत्रकार और गैर-पत्रकार समाचारपत्र कर्मचारी वेतन बोर्ड मामले में केन्द्र को नोटिस

Posted: 15 May 2011 06:50 AM PDT

पत्रकारों एवं गैर-पत्रकारों के लिए निश्चित पदोन्नति, सेवानिवृत्ति की आयु में वृद्धि तथा वेतनमान बढ़ाने की सिफारिशों वाली जस्टिस जीआर मजीठिया वेतन बोर्ड की रिपोर्ट को एक मीडिया ग्रुप द्वारा चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है।
जस्टिस दलबीर भंडारी एवं दीपक वर्मा की पीठ ने एबीपी प्राइवेट लिमिटेड एवं इसके एक अन्य शेयरहोल्डर की दलील पर केंद्र की प्रतिक्रिया चाही है। दलील में कहा गया है कि सिफारिशों से अभिव्यक्ति एवं विचारों की आजादी के मूलभूत अधिकार पर दुष्प्रभाव पड़ेगा। याचिका में कहा गया है कि वेतन बोर्ड भ्रांतिपूर्ण अनुमानों एवं गलत ढांचे पर आधारित है। इसका परिणाम यह होगा कि याचिकाकर्ता का वेतन बिल दोगुने से भी अधिक हो जायेगा। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठï अधिवक्ता फाली एस. नरीमन ने कहा कि रिपोर्ट की सिफारिशें भेदमूलक हैं, क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को इससे दूर रखा गया है।

इसके अलावा पिछले मणिसाना वेतन बोर्ड की भांति वर्तमान बोर्ड ने अंतिम सिफारिशों को बोर्ड के सभी सदस्यों को नहीं भिजवाया। टिप्पणी के लिए इंडियन न्यूजपेपर सोसायटी (आईएनएस) को भी ये सिफारिशें नहीं भेजी गयीं।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के अलावा अन्य प्रतिवादियों द इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स, द नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स, द इंडियन जर्नलिस्ट्स यूनियन, द ऑल इंडिया न्यूज पेपर इम्प्लाइज फेडरेशन, द नेशनल फेडरेशन ऑफ न्यूजपेपर इम्प्लाइज एवं प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया को भी नोटिस दिया है(दैनिक ट्रिब्यून,दिल्ली,15.5.11)।

रेलवे के वीआरएस लेने वालों के बच्चों को सीधे नौकरी देने की मांग

Posted: 15 May 2011 06:47 AM PDT

रेलवे से वीआरएस लेने वाले कर्मचारियों के पुत्र या पुत्री को सीधे नौकरी में रखा जाए। उन्हें नौकरी देने के लिए परीक्षा, इंटरव्यू और शारीरिक दक्षता आदि की जांच न की जाए। अगर इस नियम में बदलाव नहीं किया गया तो कर्मचारी वीआरएस नहीं लेंगे। यह कहना है आल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के महामंत्री और नार्दर्न रेलवे मेंस यूनियन के अध्यक्ष शिवगोपाल मिश्रा का। वह कैंट स्टेशन पर शनिवार को पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि मंत्रालय कर्मचारियों के बच्चों के लिए मेडिकल-इंजीनियरिंग कालेज और केंद्रीय विद्यालय खोलने की पालिसी रेलवे तय करे। यदि कर्मचारियों की २३ सूत्रीय मांगें पूरी न हुईं तो कर्मचारी संसद भवन पर प्रदर्शन करेंगे। कहा कि दो ल



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Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

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